हिन्दी : सर्वनाम (Pronoun)
जिन शब्दों का प्रयोग संज्ञा के स्थान पर किया जाता है, उन्हें सर्वनाम कहते है।
दूसरे शब्दों में-सर्वनाम उस विकारी शब्द को कहते है, जो पूर्वापरसंबध से किसी भी संज्ञा के बदले आता है।
जैसे- मै, तू, वह, आप, कोई, यह, ये, वे, उसका इत्यादि।
दूसरे शब्दों में-सर्वनाम उस विकारी शब्द को कहते है, जो पूर्वापरसंबध से किसी भी संज्ञा के बदले आता है।
जैसे- मै, तू, वह, आप, कोई, यह, ये, वे, उसका इत्यादि।
अन्य उदाहरण
(1)'सुभाष' एक विद्यार्थी है।
(2) वह (सुभाष) रोज स्कूल जाता है।
(3)उसके (सुभाष के) पास सुन्दर बस्ता है।
(4)उसे (सुभाष को )घूमना बहुत पसन्द है।
(1)'सुभाष' एक विद्यार्थी है।
(2) वह (सुभाष) रोज स्कूल जाता है।
(3)उसके (सुभाष के) पास सुन्दर बस्ता है।
(4)उसे (सुभाष को )घूमना बहुत पसन्द है।
उपयुक्त वाक्यों में 'सुभाष' शब्द संज्ञा है तथा इसके स्थान पर वह, उसके, उसे शब्द संज्ञा (सुभाष) के स्थान पर प्रयोग किये गए है। इसलिए ये सर्वनाम है।
सर्व (सब) नामों (संज्ञाओं) के बदले जो शब्द आते है, उन्हें 'सर्वनाम' कहते हैं।
संज्ञा की अपेक्षा सर्वनाम की विलक्षणता यह है कि संज्ञा से जहाँ उसी वस्तु का बोध होता है, जिसका वह (संज्ञा) नाम है, वहाँ सर्वनाम में पूर्वापरसम्बन्ध के अनुसार किसी भी वस्तु का बोध होता है। 'लड़का' कहने से केवल लड़के का बोध होता है, घर, सड़क आदि का बोध नहीं होता; किन्तु 'वह' कहने से पूर्वापरसम्बन्धके अनुसार ही किसी वस्तु का बोध होता है।
संज्ञा की अपेक्षा सर्वनाम की विलक्षणता यह है कि संज्ञा से जहाँ उसी वस्तु का बोध होता है, जिसका वह (संज्ञा) नाम है, वहाँ सर्वनाम में पूर्वापरसम्बन्ध के अनुसार किसी भी वस्तु का बोध होता है। 'लड़का' कहने से केवल लड़के का बोध होता है, घर, सड़क आदि का बोध नहीं होता; किन्तु 'वह' कहने से पूर्वापरसम्बन्धके अनुसार ही किसी वस्तु का बोध होता है।
सर्वनाम के भेद
सर्वनाम के छ: भेद होते है-
(1)पुरुषवाचक सर्वनाम (personal pronoun)
(2) निश्चयवाचक सर्वनाम (demonstrative pronoun)
(3)अनिश्चयवाचक सर्वनाम (Indefinite pronoun)
(4)संबंधवाचक सर्वनाम (Relative Pronoun)
(5)प्रश्नवाचक सर्वनाम (Interrogative Pronoun)
(6)निजवाचक सर्वनाम (Reflexive Pronoun)
(1)पुरुषवाचक सर्वनाम (personal pronoun)
(2) निश्चयवाचक सर्वनाम (demonstrative pronoun)
(3)अनिश्चयवाचक सर्वनाम (Indefinite pronoun)
(4)संबंधवाचक सर्वनाम (Relative Pronoun)
(5)प्रश्नवाचक सर्वनाम (Interrogative Pronoun)
(6)निजवाचक सर्वनाम (Reflexive Pronoun)
(1) पुरुषवाचक सर्वनाम:-जिन सर्वनाम शब्दों से व्यक्ति का बोध होता है, उन्हें पुरुषवाचक सर्वनाम कहते है।
दूसरे शब्दों में-'पुरुषवाचक सर्वनाम' पुरुषों (स्त्री या पुरुष) के नाम के बदले आते हैं।
दूसरे शब्दों में-'पुरुषवाचक सर्वनाम' पुरुषों (स्त्री या पुरुष) के नाम के बदले आते हैं।
जैसे- मैं आता हूँ। तुम जाते हो। वह भागता है।
उपर्युक्त वाक्यों में 'मैं, तुम, वह' पुरुषवाचक सर्वनाम हैं।
उपर्युक्त वाक्यों में 'मैं, तुम, वह' पुरुषवाचक सर्वनाम हैं।
पुरुषवाचक सर्वनाम के प्रकार
पुरुषवाचक सर्वनाम तीन प्रकार के होते है-
(i)उत्तम पुरुष (ii)मध्यम पुरुष (iii)अन्य पुरुष
(i)उत्तम पुरुष (ii)मध्यम पुरुष (iii)अन्य पुरुष
(i)उत्तम पुरुष :-जिन सर्वनामों का प्रयोग बोलने वाला अपने लिए करता है, उन्हें उत्तम पुरुष कहते है।
जैसे- मैं, हमारा, हम, मुझको, आदि।
जैसे- मैं, हमारा, हम, मुझको, आदि।
उदाहरण- मैं स्कूल जाऊँगा।
हम मतदान नहीं करेंगे।
हम मतदान नहीं करेंगे।
(ii) मध्यम पुरुष :-जिन सर्वनामों का प्रयोग सुनने वाले के लिए किया जाता है, उन्हें मध्यम पुरुष कहते है।
जैसे- तू, तुम, तुम्हे, आप, आपने आदि।
जैसे- तू, तुम, तुम्हे, आप, आपने आदि।
उदाहरण- तुमने होमवर्क क्यों नहीं किया
तुम सो जाओ।
तुम सो जाओ।
(iii)अन्य पुरुष:-जिन सर्वनाम शब्दों का प्रयोग किसी अन्य व्यक्ति के लिए किया जाता है, उन्हें अन्य पुरुष कहते है।
जैसे- वे, यह, वह, इनका, इन्हें, उनसे आदि।
जैसे- वे, यह, वह, इनका, इन्हें, उनसे आदि।
उदाहरण- वे मैच नही खेलेंगे।
उन्होंने कमर कस ली है।
उन्होंने कमर कस ली है।
(2) निश्चयवाचक सर्वनाम:- सर्वनाम के जिस रूप से हमे किसी बात या वस्तु का निश्चत रूप से बोध होता है, उसे निश्चयवाचक सर्वनाम कहते है।
दूसरे शब्दों में- जिस सर्वनाम से वक्ता के पास या दूर की किसी वस्तु के निश्र्चय का बोध होता है, उसे 'निश्र्चयवाचक सर्वनाम' कहते हैं।
जैसे- यह, वह, ये, वे आदि।
दूसरे शब्दों में- जिस सर्वनाम से वक्ता के पास या दूर की किसी वस्तु के निश्र्चय का बोध होता है, उसे 'निश्र्चयवाचक सर्वनाम' कहते हैं।
जैसे- यह, वह, ये, वे आदि।
उदाहरण- पास की वस्तु के लिए- 'यह' कोई नया काम नहीं है; दूर की वस्तु के लिए- रोटी मत खाओ, क्योंकि 'वह' जली है।
(3) अनिश्चयवाचक सर्वनाम:-जिस सर्वनाम शब्द से किसी निश्चित व्यक्ति या वस्तु का बोध न हो, उसे अनिश्चयवाचक सर्वनाम कहते है।
जैसे- कोई, कुछ, किसी आदि।
जैसे- कोई, कुछ, किसी आदि।
उदाहरण- 'कोई'- ऐसा न हो कि 'कोई' आ जाय;
'कुछ'- उसने 'कुछ' नहीं खाया।
'कुछ'- उसने 'कुछ' नहीं खाया।
(4)संबंधवाचक सर्वनाम :-जिन सर्वनाम शब्दों का दूसरे सर्वनाम शब्दों से संबंध ज्ञात हो तथा जो शब्द दो वाक्यों को जोड़ते है, उन्हें संबंधवाचक सर्वनाम कहते है।
जैसे- जो, जिसकी, सो, जिसने, जैसा, वैसा आदि।
जैसे- जो, जिसकी, सो, जिसने, जैसा, वैसा आदि।
उदाहरण- जैसा करेगा वैसा भरेगा।
जो परिश्रम करते हैं, वे सुखी रहते हैं।
वह 'जो' न करे, 'सो' थोड़ा
जो परिश्रम करते हैं, वे सुखी रहते हैं।
वह 'जो' न करे, 'सो' थोड़ा
(5)प्रश्नवाचक सर्वनाम :-जो सर्वनाम शब्द सवाल पूछने के लिए प्रयुक्त होते है, उन्हें प्रश्नवाचक सर्वनाम कहते है।
सरल शब्दों में- प्रश्र करने के लिए जिन सर्वनामों का प्रयोग होता है, उन्हें 'प्रश्रवाचक सर्वनाम' कहते है।
जैसे- कौन, क्या, किसने आदि।
सरल शब्दों में- प्रश्र करने के लिए जिन सर्वनामों का प्रयोग होता है, उन्हें 'प्रश्रवाचक सर्वनाम' कहते है।
जैसे- कौन, क्या, किसने आदि।
उदाहरण- टोकरी में क्या रखा है।
बाहर कौन खड़ा है।
तुम क्या खा रहे हो ?
बाहर कौन खड़ा है।
तुम क्या खा रहे हो ?
यहाँ पर यह ध्यान रखना चाहिए कि 'कौन' का प्रयोग चेतन जीवों के लिए और 'क्या' का प्रयोग जड़ पदार्थो के लिए होता है।
(6) निजवाचक सर्वनाम :-जिन सर्वनाम शब्दों का प्रयोग कर्ता अपने लिए (स्वयं के अर्थ में) करता है, उन्हें निजवाचक सर्वनाम कहते है।
जैसे- अपने आप, निजी, खुद आदि।
जैसे- अपने आप, निजी, खुद आदि।
उदाहरण- मैने अपना कार्य स्वंय किया।
आप यह कार्य खुद कीजिये।
आप यह कार्य खुद कीजिये।
'निजवाचक सर्वनाम' का रूप 'आप' है। लेकिन पुरुषवाचक के अन्यपुरुषवाले 'आप' से इसका प्रयोग बिलकुल अलग है। यह कर्ता का बोधक है, पर स्वयं कर्ता का काम नहीं करता। पुरुषवाचक 'आप' बहुवचन में आदर के लिए प्रयुक्त होता है। जैसे- आप मेरे सिर-आखों पर है; आप क्या राय देते है ? किन्तु, निजवाचक 'आप' एक ही तरह दोनों वचनों में आता है और तीनों पुरुषों में इसका प्रयोग किया जा सकता है।
निजवाचक सर्वनाम 'आप' का प्रयोग निम्नलिखित अर्थो में होता है-
(क) निजवाचक 'आप' का प्रयोग किसी संज्ञा या सर्वनाम के अवधारण (निश्र्चय) के लिए होता है। जैसे- मैं 'आप' वहीं से आया हूँ; मैं 'आप' वही कार्य कर रहा हूँ।
(ख) निजवाचक 'आप' का प्रयोग दूसरे व्यक्ति के निराकरण के लिए भी होता है। जैसे- उन्होंने मुझे रहने को कहा और 'आप' चलते बने; वह औरों को नहीं, 'अपने' को सुधार रहा है।
(ग) सर्वसाधारण के अर्थ में भी 'आप' का प्रयोग होता है। जैसे- 'आप' भला तो जग भला; 'अपने' से बड़ों का आदर करना उचित है।
(घ) अवधारण के अर्थ में कभी-कभी 'आप' के साथ 'ही' जोड़ा जाता है। जैसे- मैं 'आप ही' चला आता था; यह काम 'आप ही'; मैं यह काम 'आप ही' कर लूँगा।
संयुक्त सर्वनाम
रूस के हिन्दी वैयाकरण डॉ० दीमशित्स ने एक और प्रकार के सर्वनाम का उल्लेख किया है और उसे 'संयुक्त सर्वनाम' कहा है। उन्हीं के शब्दों में, 'संयुक्त सर्वनाम' पृथक श्रेणी के सर्वनाम हैं। सर्वनाम के सब भेदों से इनकी भित्रता इसलिए है, क्योंकि उनमें एक शब्द नहीं, बल्कि एक से अधिक शब्द होते हैं। संयुक्त सर्वनाम स्वतन्त्र रूप से या संज्ञा-शब्दों के साथ भी प्रयुक्त होता है।
इसका उदाहरण कुछ इस प्रकार है- जो कोई, सब कोई, हर कोई, और कोई, कोई और, जो कुछ, सब कुछ, और कुछ, कुछ और, कोई एक, एक कोई, कोई भी, कुछ एक, कुछ भी, कोई-न-कोई, कुछ-न-कुछ, कुछ-कुछ, कोई-कोई इत्यादि।
सर्वनाम के रूपान्तर (लिंग, वचन और कारक)
सर्वनाम का रूपान्तर पुरुष, वचन और कारक की दृष्टि से होता है। इनमें लिंगभेद के कारण रूपान्तर नहीं होता। जैसे-
वह खाता है।
वह खाती है।
वह खाता है।
वह खाती है।
संज्ञाओं के समान सर्वनाम के भी दो वचन होते हैं- एकवचन और बहुवचन।
पुरुषवाचक और निश्र्चयवाचक सर्वनाम को छोड़ शेष सर्वनाम विभक्तिरहित बहुवचन में एकवचन के समान रहते हैं।
पुरुषवाचक और निश्र्चयवाचक सर्वनाम को छोड़ शेष सर्वनाम विभक्तिरहित बहुवचन में एकवचन के समान रहते हैं।
सर्वनाम में केवल सात कारक होते है। सम्बोधन कारक नहीं होता।
कारकों की विभक्तियाँ लगने से सर्वनामों के रूप में विकृति आ जाती है। जैसे-
कारकों की विभक्तियाँ लगने से सर्वनामों के रूप में विकृति आ जाती है। जैसे-
मैं- मुझको, मुझे, मुझसे, मेरा; तुम- तुम्हें, तुम्हारा; हम- हमें, हमारा; वह- उसने, उसको उसे, उससे, उसमें, उन्होंने, उनको; यह- इसने, इसे, इससे, इन्होंने, इनको, इन्हें, इनसे; कौन- किसने, किसको, किसे।
सर्वनाम की कारक-रचना (रूप-रचना)
मैं (उत्तमपुरुष)
कारक | एकवचन | बहुवचन |
---|---|---|
कर्ता | मैं, मैंने | हम, हमने |
कर्म | मुझे, मुझको | हमें, हमको |
करण | मुझसे | हमसे |
सम्प्रदान | मुझे, मेरे लिए | हमें, हमारे लिए |
अपादान | मुझसे | हमसे |
सम्बन्ध | मेरा, मेरे, मेरी | हमारा, हमारे, हमारी |
अधिकरण | मुझमें, मुझपर | हममें, हमपर |
तू (मध्यमपुरुष)
कारक | एकवचन | बहुवचन |
---|---|---|
कर्ता | तू, तूने | तुम, तुमने, तुमलोगों ने |
कर्म | तुझको, तुझे | तुम्हें, तुमलोगों को |
करण | तुझसे, तेरे द्वारा | तुमसे, तुम्हारे से, तुमलोगों से |
सम्प्रदान | तुझको, तेरे लिए, तुझे | तुम्हें, तुम्हारे लिए, तुमलोगों के लिए |
अपादान | तुझसे | तुमसे, तुमलोगों से |
सम्बन्ध | तेरा, तेरी, तेरे | तुम्हारा-री, तुमलोगों का-की |
अधिकरण | तुझमें, तुझपर | तुममें, तुमलोगों में-पर |
वह (बहुवचन)
कारक | एकवचन | बहुवचन |
---|---|---|
कर्ता | वह, उसने | वे, उन्होंने |
कर्म | उसे, उसको | उन्हें, उनको |
करण | उससे, उसके द्वारा | उनसे, उनके द्वारा |
सम्प्रदान | उसको, उसे, उसके लिए | उनको, उन्हें, उनके लिए |
अपादान | उससे | उनसे |
सम्बन्ध | उसका, उसकी, उसके | उनका, उनकी, उनके |
अधिकरण | उसमें, उसपर | उनमें, उनपर |
आप(आदरसूचक)
कारक | एकवचन | बहुवचन |
---|---|---|
कर्ता | आपने | आपलोगों ने |
कर्म | आपको | आपलोगों को |
करण | आपसे | आपलोगों से |
सम्प्रदान | आपको, के लिए | आपलोगों को, के लिए |
अपादान | आपसे | आपलोगों से |
सम्बन्ध | आपका, की, के | आपलोगों का, की, के |
अधिकरण | आप में, पर | आपलोगों में, पर |
यह(निकटवर्ती)
कारक | एकवचन | बहुवचन |
---|---|---|
कर्ता | यह, इसने | ये, इन्होंने |
कर्म | इसको, इसे | ये, इनको, इन्हें |
करण | इससे | इनसे |
सम्प्रदान | इसे, इसको | इन्हें, इनको |
अपादान | इससे | इनसे |
सम्बन्ध | इसका, की, के | इनका, की, के |
अधिकरण | इसमें, इसपर | इनमें, इनपर |
कोई (अनिश्र्चयवाचक)
कारक | एकवचन | बहुवचन |
---|---|---|
कर्ता | कोई, किसने | किन्हीं ने |
कर्म | किसी को | किन्हीं को |
करण | किसी से | किन्हीं से |
सम्प्रदान | किसी को, किसी के लिए | किन्हीं को, किन्हीं के लिए |
अपादान | किसी से | किन्हीं से |
सम्बन्ध | किसी का, किसी की, किसी के | किन्हीं का, किन्हीं की, किन्हीं के |
अधिकरण | किसी में, किसी पर | किन्हीं में, किन्हीं पर |
सर्वनाम का पद-परिचय
सर्वनाम का पद-परिचय करते समय सर्वनाम, सर्वनाम का भेद, पुरुष, लिंग, वचन, कारक और अन्य पदों से उसका सम्बन्ध बताना पड़ता है।
उदाहरण- वह अपना काम करता है।
उदाहरण- वह अपना काम करता है।
इस वाक्य में, 'वह' और 'अपना' सर्वनाम है। इनका पद-परिचय होगा-
वह- पुरुषवाचक सर्वनाम, अन्य पुरुष, पुलिंग, एकवचन, कर्ताकारक, 'करता है' क्रिया का कर्ता।
अपना- निजवाचक सर्वनाम, अन्यपुरुष, पुंलिंग, एकवचन, सम्बन्धकारक, 'काम' संज्ञा का विशेषण।
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