कहानी : परी की दयालुता
किसी नगर में एक अमीर आदमी रहता था। उसके पास बहुत पैसा था। शहर भर में उसका बहुत नाम था, किन्तु इतना सब होते हुए भी उसमें घमंड नहीं था। वह दीन-दुखियों की सहायता किया करता था। उसकी हवेली में मांगने वालों की हमेशा भीड़ लगी रहती थी, पर दूसरों को ख़ुशी देने वाला वह अमीर हमेशा उदास-उदास दिखाई पड़ता था। वह ही नहीं, उसकी पत्नी भी हमेशा चिंता में डूबी रहती थी। इसका कारण था उनके घर में संतान का न होना। दोनों पति-पत्नी यही सोचते रहते थे कि उनके बाद इस सारी धन-दौलत का क्या होगा ?
उनकी हवेली के साथ एक बहुत खूबसूरत बगीचा भी था। उस बगीचे में संगमरमर की बनी हुई कई आदमकद मूर्तियां खड़ी थीं। अमीर की पत्नी को सलीके से जिंदगी बिताने का बेहद शौक था, इसलिए उसने बगीचे में परियों की मूर्तियों के पास अपने बैठने के लिए खूबसूरत जगह बनवाई हुई थी। यहां अनेक रंग-बिरंगे फूल खिले थे। अमीर की पत्नी माली से फूलों की मालाएं बनवाती और स्वयं आकर परियों के गले में पहनाया करती थी। एक दिन अमीर की पत्नी संतान की चिंता में बहुत ही उदास थी।