Tuesday 26 November 2019

सामान्य ज्ञान प्रश्नोत्तरी (GK Questionnaire)-006

सामान्य ज्ञान प्रश्नोत्तरी (GK Questionnaire)-006



1. ‘वेल्थ ऑफ नेशंस’ पुस्तक के लेखक कौन हैं? 
उत्तर : एडम स्मिथ
2. भारत में सिंचाई का सबसे महत्वपूर्ण साधन क्या है? 

उत्तर : नहरें
3. देश में राष्ट्रीय न्यादर्श (N.S.S.) की स्थापना कब हुई?
 
उत्तर : 1950 ई. में
4. भारत को अधिकतम किससे कर आय प्राप्त होती है?
 
उत्तर : निगम कर से
5. किन देशों की मुद्रा प्रायः हार्ड करेन्सी होती है?
 
उत्तर : विकसित देशों की
6. भारत में कोयले की सबसे मोटी पटल कहां पायी जाती है?
 
उत्तर : सिंगरौली में

सामान्य ज्ञान प्रश्नोत्तरी (GK Questionnaire)-005

सामान्य ज्ञान प्रश्नोत्तरी (GK Questionnaire)-005





1. पोंगल किस राज्य का त्योहार है?
उत्तर : तमिलनाडु
2. ‘चपचार पफुट’ किस राज्य का मुख्य त्योहार है?
उत्तर : मिजोरम
3. राष्ट्रपति किसके द्वारा पारित महाभियोग प्रस्ताव पर हटाया या सकता है?
उत्तर : संसद के
4. ‘गांगेय’ शब्द किसके लिए प्रयुक्त किया गया है?
उत्तर : भीष्म के लिए
5. भीलों के ग्राम प्रधान को क्या कहा जाता है?
उत्तर : पटेल
6. भारत में डाक व्यवस्था किस गवर्नर जनरल ने प्रारंभ की थी?
उत्तर : लाॅर्ड डलहौजी ने

Important Question-2

Important Question-2




1. Which decade is celebrated as decade of Action for road safety?
Answer: 2011-2020
2. What is the sum total of incomes received for the services of labour, land or capital in a country?
Answer: National income
3. Myxoedema is disorder produed due to hypersecretion of which gland?
Answer: Thyroid
4. In which country is the world’s highest waterfall?
Answer: Venezuela
5. Who destroyed the group of Forty Nobles?
Answer: Balban
6. From which of the country, Constitution of India has adopted fundamental duties?
Answer: Erstwhile USSR

भारत का उच्चतम न्यायालय (Supreme Court of India)

भारत का उच्चतम न्यायालय (Supreme Court of India)


1. संविधान का संरक्षक व व्याख्याकार कौन है?
उत्तर : सर्वोच्च न्यायालय
2. संविधान के किस भाग में संघीय न्यायपालिका का उल्लेख है?
उत्तर : भाग-V
3. किस अधिनियम के अंतर्गत सर्वोच्च न्यायालय की स्थापना हुई?
उत्तर : रेग्युलेटिंग एक्ट 1773
4. संविधान में मूल रूप से मुख्य न्यायाधीश के अतिरिक्त कितने न्यायाधीशों की व्यवस्था सर्वोच्च न्यायालय में की गई थी?
उत्तर : 7
5. उच्चतम न्यायालय में न्यायाधीशों की संख्या में वृद्धि करने का अधिकार किसको है?
उत्तर : संसद को

Tuesday 15 October 2019

#Ri_Ca_Ja

मैं यदा कदा कविता कहानी शायरी चुटकुले आदि पोस्ट करता रहता हूं उसका भी संबंध किसी से न होकर बस मन आने वाले खयालों को यहां लिख देता हूं और इसके अलावा मुझे कुछ पोस्ट करने का शौक भी नहीं है पहले तो ये सब लिखने का मुझे कोई शौक नहीं है और न ही मैं कोई मठाधीश हूं जो अपनी प्रसिद्धि के लिए ये सब लिखता रहूं। कुछ लोगों के द्वारा रोज ही नया दर्द मिल रहा है और उस दर्द से मुक्ति के लिए ये लिखना बिल्कुल जरूरी हो गया। और जिनको भी मैं या मेरी पोस्ट गलत लगे वो मुझे विदा कर कर सकते हैं।

आइए इस कथा में हम सबसे पहले ताजा चल रहे प्रसंग की बात करते हैं फिर आगे आने वाले पीछे के संदर्भ को व्याख्यायित करेंगे। बात 13 अक्टूबर शाम की है। घुमक्कड़ी दिल से में कुमार ललित ऊर्फ ललित शर्मा का लाइव इंटरव्यू चल रहा था। तभी किसी बंधु ने #Ri_Ca_Ja नाम के आईडी से ये पूछा कि यात्रा वृत्तांत आजकल ज्यादा ब्लाॅग, फेसबुक आदि जैसे डिजिटल माध्यम पर ही लिखा जा रहा है, तो क्या पुस्तकों में लोगों की रुचि कम हो गई है या फिर पुस्तक रूप में छापना महंगा है और लोग खरीदते भी नहीं तो इस बात पर आप क्या कहते हैं कि हमें डिजिटल पर ही ध्यान देना चाहिए या पुस्तकों की ओर लौटना चाहिए?

इस पर इंटरव्यू लेने वाले ने इंटरव्यू देने वाले को ये कहा कि एक प्रश्न इस प्रकार का आया है तो इंटरव्यू देने वाले ने ये कहकर कि ये किसी का फेक आईडी है, प्रश्न का उत्तर देने से मना कर दिया। पर नाम पढ़ते ही आपने ये पता लगा लिया कि ये फेक आईडी है और जवाब नहीं देंगे। मतलब नाम से ही फेक का पता लग गया तो कहीं वो फेक आप ही तो नहीं जो कि सहानुभूति लेने के लिए फेक आईडी बनाकर किसी को बिठा दिए हों या फिर कहीं वो लोग ही तो नहीं जो आपके इंटरव्यू पर चटकारे लेकर कमेंट कर रहे थे, तो थोड़ा मजा लेने के लिए ऐसा किया हो। उसके बाद कुमार ललित साहब साक्षात्कार खत्म करके चले गए।

वो फेक आईडी वाला कौन था, क्या वो साक्षात्कार देने वाले द्वारा बिठाया गया चमचा कनस्तर था जिससे सहानुभूति मिल सके, या फिर साक्षात्कार देने वाले लोगों के भक्त लोग ही ऐसा किए कि ऐसी आईडी बनाकर ऐसा करते हैं जिससे हम मीठे रह जाएं और मीठे रहकर जहर भी पिला दें। या फिर कोई तीसरा था और तीसरा था भी तो आखिर वो तीसरा क्यों था? ये सारे सवाल अनसुलझे ही रहे गए। और साथ ही क्या वो सवाल इतना कठिन था जो उस व्यक्ति ने पूछा। अब सवाल कठिन था या उसका उत्तर ही नहीं हो सकता ये तो प्रभु की माया प्रभु ही जानें।

वैसे आजकल ये परंपरा देखने को खूब मिल रही है कि सबसे प्रिय ही घर में चोरी कर लेता है और फिर रात-दिन साथ साथ चोरी हुए सामान की बरामदगी के लिए साथ में भूखे-प्यासे भटकता रहता है और बाद में वही आदमी सामान खोजकर निकालता है और फिर मिट्ठू बन जाता है। और बाद में अपना काम निकलवाता है, तो हो सकता है कि यहां भी वैसी ही बात रही हो, कि किसी प्रिय ने ही यह हरकत की हो कि बाद में उस नाम को डिकोड करके प्रिय होने की वाहवाही लूटेंगे।

पर कुछ खास भक्त लोग उस #Ri_Ca_Ja नाम को कोडिंग डिकोडिंग करने लगे और उस #Ri_Ca_Ja आईडी का संदर्भ लोगों ने _ah_ _hlat_ _ _बनाया और फिर उसका पूरा रूप कमेंट में लोगों ने #Rahi_Chalta_Ja बनाया, और #Rahi_Chalta_Ja का संबंध मेरे ब्लाॅग से है। तो यहां कुछ कहने की जरूरत नहीं कि कोडिंग डिकोडिंग वाले कहना क्या चाहते हैं, सब कुछ मेघालय के डाॅकी नदी के पानी की तरह स्पष्ट है। फिर तो कल तो उन लोगों घर में चोरी डकैती हो जाए, कोई उन लोगों के मुंह पर कालिख पोत जाए (इस पंक्ति को हम गंदे शब्दों में भी लिख सकते थे पर हम उस तरह के नहीं जो गंदे शब्दों का प्रयोग करे) तो क्या कोडिंग डिकोडिंग करके मेरा नाम निकालोगे। चलो अब पूछता हूं कि उस आईडी ने जो सवाल किए थे क्या वो गलत था। एक सवाल जो अच्छा था उसका जवाब देने में ही अधमरे हो गए या पानी का गिलास पास में नहीं था इसलिए जवाब नहीं दे सके ये तो वही जानें।

इस बात पर हम यही कह सकते हैं कि देखते ही पता लग गया कि ये फेक आईडी है और लोगों ने राॅ एजेंट और सीबीआई वाले की तरह डिकोड भी कर लिया। कहीं ऐसा तो नहीं कि डिकोड करने वाले ने ही किसी पूर्वाग्रह से ग्रस्त होकर वो आईडी बनाया हो कि इस तरह से करके किसी को अपमानित करने का मौका मिलेगा, या फिर जिस व्यक्ति का साक्षात्कार चल रहा था उस व्यक्ति को कुछ सहानुभूति चाहिए होगा तो इस तरह के हथकंडे अपनाया हो। 

तो असल बात ये है कि तुम कुछ भी करो या करवाओ पर उस बात का संबंध तीसरे से नहीं जोड़ो वरना तीसरा तो संबंध जोड़ने से ऐसे ही दुखी हो जाएगा और मरता क्या न करता वाली बात पर वो भी कुछ कर सकता है। कोई इस दुनिया में पंगु, अपाहिज तो है नहीं कि जवाब न दे सके, पर कुछ लोगों की सम्मान की खातिर, तो कभी तनाव से दूर रहने की खातिर जवाब नहीं दे पाता इसका मतलब ये नहीं कि वो जवाब देने में असमर्थ है। उसे तनाव जवाब देकर भी मिलेगा और बिना जवाब दिए भी वो तनाव में ही रह रहा है तो जवाब देना बन ही जाता है।

इसे पढ़कर कोई ये न कहे कि डिकोड में आपका नाम तो नहीं लिखा गया तो फिर आप क्यों तनाव में है तो बात सीधा और स्पष्ट है कि अगर कोई मोदी को गाली दे रहा है तो समझिए कि बीजेपी को गाली दे रहा है और बीजेपी को गाली दे रहा है मोदी को भी गाली दे रहा है। वैसे ही डिकोड करके जो शब्द बनाया गया है वो है #Rahi_Chalta_Ja और #Rahi_Chalta_Ja मेरे ब्लाॅग का नाम है तो अप्रत्यक्ष या प्रत्यक्ष जो भी कहें संबंध मुझसे निकाला जा रहा है।

इस भाग में इतना ही। अगला भाग भी जल्दी ही।

Tuesday 24 September 2019

सामान्य ज्ञान प्रश्नोत्तरी (GK Questionnaire)-12

सामान्य ज्ञान प्रश्नोत्तरी (GK Questionnaire)-12


1. वेयक्तिक सत्याग्रह किसने प्रारम्भ किया।
उत्तर : विनोबा भावे
2. साइमन प्रतिवेदन पर विचार के लिए बुलाए गये तीन गोलमेज समेलन में भाग लेने वाले प्रतिनिधि कौन थे।

उत्तर : भीमराव अंबेडकर
3. भारतीय सिविल सेना में चुने गये पहले भारतीय का नाम था।
 
उत्तर : सत्येन्द्रनाथ टैगोर
4. साम्प्रदायिक निर्वाचन क्षेत्रों की पद्धति की शुरुवात भारत में किसने की।
 
उत्तर : 1909 के मिन्टो- मार्ले सुधार
5. जब भारत को स्वतंत्रता प्राप्त हुई तो उस समय वायशराय थे।
 
उत्तर : लार्ड माउंटबेटन
6. जन गन मन सर्वप्रथम कब और कहाँ गाया गया।

उत्तर : 1911, कलकत्ता

इतिहास GK (History GK)-3

इतिहास GK (History GK)-3

1. हालांकि अशोक के कई बेटे थे, शिलालेख उल्लेख केवल एक का किया था जो किसी अन्य स्रोत में उल्लेख नहीं है. वो हैं?
(A) कुणाल
(B) तीव्र
(C) महेंद्र
(D) जलौका

2. गुप्त काल के बाद भूमि के परम स्वामित्व ____ का था?
(A) किसान
(B) गांव समुदाय
(C) राजा
(D) संयुक्त परिवार

अर्थशास्त्र प्रश्नोत्तरी (Economics Questionnaire)-9

अर्थशास्त्र प्रश्नोत्तरी (Economics Questionnaire)-9




1. भारत में नारियल का सर्वाधिक उत्पादन करने वाला राज्य कौन-सा है?
उत्तर : केरल
2. हरित क्रांति का सर्वाधिक प्रभाव किस फसल के उत्पादन पर पड़ा?
उत्तर : गेहूँ
3. जिला प्राथमिक शिक्षा कार्यक्रम किस वर्ष प्रारंभ किया गया?
उत्तर : 1994 ई. में
4. कस्तूरबा गाँधी शिक्षा योजना किससे सम्बन्धित है?
उत्तर : बालिका शिक्षा से
5. कौन-सा बैंक विदेशी विनिमय पर नियंत्रण करता है?
उत्तर : भारतीय रिजर्व बैंक
6. भारतीय पर्यटन मंत्रालय का आदर्श वाक्य क्या है?
उत्तर :  अतिथि देवो भव

अर्थशास्त्र प्रश्नोत्तरी (Economics Questionnaire)-8

अर्थशास्त्र प्रश्नोत्तरी (Economics Questionnaire)-8




 


1. सहकारिता को सरकारी नियंत्रण से मुक्त करने वाला भारत का राज्य है : आंध्र प्रदेश
2. भारत की सबसे बड़ी म्यूचल फंड संस्था है : भारतीय यूनियन ट्रस्ट (UTI)
3. विनिवेश कमीशन (स्थापना-1996 ई.) के प्रथम अध्यक्ष थे : जी वी रामकृष्णन
4. भारत में मनीऑर्डर प्रणाली की शुरुआत की गई : 1980 ई. में
5. भारतीय रुपयों का अब तक अवमूल्यन हो चुका है : तीन बार (1949, 1966 एवं 1991 ई. में)
6. एक रुपए का नोट तथा सिक्के का निर्गमन करता है : वित्त मंत्रालय (भारत सरकार)
7. करेंसी नोटों (5, 10, 20, 50, 100, 500 तथा 1000 रु.) का निर्गमन करता है : भारतीय रिजर्व बैंक (RBI)
8. 20 रु., 100 रु., तथा 500 रु. के नोट छपते हैं : बैंक नोट प्रेस देवास में
9. 10 रु., 50रु., 100 रु., 500 रु., तथा 1000 रु. के नोट छपते हैं : करेंसी नोट प्रेस नासिक में
0. भारत में सिक्का उत्पादन होता है : टकसाल में
11. 'नास्डैक' है : अमेरिकी शेयर बाजार

अर्थशास्त्र प्रश्नोत्तरी (Economics Questionnaire)-7

अर्थशास्त्र प्रश्नोत्तरी (Economics Questionnaire)-7




 


1. भारत का सबसे बड़ा व्यापारिक बैंक है : स्टेट बैंक ऑफ इंडिया
2. 'इम्पीरियल बैंक' पहले का नाम है : स्टेट बैंक ऑफ इंडिया का
3. पूर्ण रूप से पहला भारतीय बैंक है : पंजाब नेशनल बैंक
4. रिजर्व बैंक ऑफ इंडिया का राष्ट्रीयकरण हुआ : 1 जनवरी, 1949 ई. में
5. भारत का केंद्रीय बैंक है : रिजर्व बैंक ऑफ इंडिया (RBI)
6. भारत में राष्ट्रीयकृत बैंकों की कुल संख्या है : 19
7. एक्सिस बैंक लि. (UTI) का पंजीकृत कार्यालय है : अहमदाबाद में
8. भारत में औद्योगिक वित्त की शिखर संस्था है : भारतीय औद्योगिक विकास बैंक (IDBI)
9. बीमा नियामक एवं विकास प्राधिकरण (IRDA) विधेयक पारित हुआ : दिसंबर, 1999 ई. में
10. भारत में कुल मान्यता प्राप्त स्टॉक एक्सचेंज हैं : 24

Sunday 22 September 2019

तत्सम-तद्भव शब्द (Pure and Modified Words)

हिन्दी : तत्सम-तद्भव शब्द (Pure and Modified Words)

तत्सम शब्द- हिन्दी भाषा का विकास संस्कृत भाषा से हुआ है। अतः इसी भाषा से सीधे शब्द हिन्दी में आये हैं। इन्हें तत्सम शब्द कहते हैं।
जैसे- नासिका, मुख, सूर्य, चन्द्रमा, रात्रि आदि।
तद्भव शब्द- वे शब्द जो तत्सम न रहकर उसी शब्द से बिगड़कर बने हैं, उन्हें तद्भव शब्द कहते हैं।
जैसे- चाँद, सूरज, रात, नाक, मुँह आदि।
तत्समतद्भवतत्समतद्भव
चन्द्रचाँदग्राहकगाहक
मयूरमोरविद्युतबिजली
वधूबहूनृत्यनाच
चर्मचमड़ागौगाय
ग्रीष्मगर्मीअज्ञानीअज्ञानी
अकस्मात्अचानकअग्निआग
आलस्यआलसउज्ज्वलउजला
कर्मकामनवीननया
स्वर्णसोनाशतसौ
श्रंगारसिंगारसर्पसाँप
कूपकुआँकोकिलकोयल
मृत्युमौतसप्तसात
घृतघीदधिदही
दुग्धदूधधूम्रधुआँ
दन्तदाँतछिद्रछेद
अमूल्यअमोलआश्चर्यअचरज
अश्रुआँसूकर्णकान
कृषककिसानग्रामगाँव
हस्तीहाथीआम्रआम
मक्षिकामक्खीशर्करशक्कर
सत्यसचहस्तहाथ
हरितहराशिरसिर
गृहघरचूर्णचूरन
कुम्भकारकुम्हारकटुकड़वा
नग्ननंगाभगिनीबहिन
वार्ताबातभगिनीबहिन
मृत्तिकामिट्टीपुत्रपूत
कपाटकिवाड़छत्रछाता
धैर्यधीरजकर्णकान
भुजाबाँहपादपाँव

Manipur

Manipur

History of Manipur
Manipur is also known as Kangleipak or Sanaleibak. History believes that “Ningthou Kangba", was the first king of Manipur who ruled from Kangla in 33 AD. Manipur came under British rule in the eighteenth century. During World War II, Manipur has witnessed many battles between the Japanese invaders and the British. Maharaja Bodhchandra has signed the instrument of accession to merge Manipur into India. Manipur became part of India in October 1949. Later it became Union Territory in 1956 and a fully-fledged State in 1972. Europeans observed local people playing polo in the state and adopted the game.

Geography of Manipur
Manipur is located on the north eastern part of India. It is surrounded by Mizoram, Nagaland and Assam. Manipur shares international border with Burma. It is spread in an area of 22327 sq km making it the 23rd largest state in the country. Manipur receives an average annual rainfall of 1467.5 mm and its temperatures ranges from 0 to 36 °C.

Government and Administration of Manipur
For administration purpose Manipur is divided into nine districts. Manipur Peoples Party, Manipur National Conference, Manipur State Congress Party and Maoist Communist Party of Manipur are the major political parties in the state. Manipur legislative assembly consists of 60 seats. Manipur contributes two members to the Indian Assembly in which one is reserved for Scheduled Tribes. Manipur High Court was established in March 2013.

Language and Culture of Manipur
Manipur people are natural craftsmen are creators of beautiful handicrafts of Manipur. Hand-woven and embroidered textiles, Mats made of water reed, Cane and bamboo work, Manipuri dance doll, Wood carving are some of the famous handicrafts in the state. Manipur culture is best reflected in its music. Gaur Padas, Manohar Sai, Thoubal Chongba, Nat are some of the music forms in the state. Pung, Kartal and Manzilla, Harmonium, Pena, Bansuri are some of the musical instruments used to play the folk songs. Manipuri dance reflects the various culture of the Manipur society. Ningol Chakouba, Cackouba, Yaoshang are the important dance forms of the state. Manipuri dances revolve around the life of Krishna. Sankirtana and Raas Leela are two main components of this dance form. Manipuri and English are the official languages of the state. Thado, Tangkhul, Kabui, Paite, Hmar, Vaiphei are the other languages widely spoken. There are 29 dialects spoken in Manipur.

Educational Status of Manipur
Literacy rate of Manipur is approximately 80% in 2011. Manipur University and Central Agricultural University are the important universities in the state. Regional Institute of Medical Sciences takes care of medical sciences in the state. Manipur Institute of Technology, Central Institute of Plastics engineering & Technology, NIT, National Institute of Electronics and Information Technology are some of the prominent colleges in the state.

Economy of Manipur
GSDP of Manipur was 13023 crore in the year 2013-2014. Manipur economy is mainly driven by agriculture, cottage, trade and forestry. Manipur acts as India’s ‘Gateway to the East’. Manipur produces electricity to all residents throughout the year and can sale it through Myanmar grid. Manipur grows variety of rare and exotic medicinal and aromatic plants. Manipur is one of India’s largest producers of bamboo. Indian government, in 2010 announced that it is considering an Asian infrastructure network from Manipur to Vietnam.

Tourism in Manipur
Imphal is the Manipur’s capital city which is at an elevation of 790 meters from sea level and oval shaped valley. Govindajee Temple consists of 2 domes and a large congregation hall. War Cemetery commemorates the dead British and Indian soldiers of World War II. Khonghampat Orchidarium is spread in 200 acres houses more than 110 rare varieties of orchids. Loktak Lake is the biggest natural freshwater lake in North East India. Langthabal houses historic temples and ancient temples. Bishnupur houses Vishnu temple influenced by Chinese style.

Festivals Celebrated in Manipur
Cheiraoba festival is celebrated in traditional way in April. It is Manipur New Year. Gang-Ngai is the important festival for Kabui Nagas. It is celebrated for five days in the month of December/January. The Kut festival is celebrated by Kuki chin mizo group on 1st November. It is a thanksgiving festival and festival of crops. The Kang also known as 'Rathyatra' is held in Govindjee temple. It is one of the important festivals for Hindus and is celebrated for ten days.

Goa

Goa

History of Goa
Gomanta, Gopakapuri, Gomanchala, Gopakapattam were some of the names of Goa in ancient time. Mahabharata referred Goa as Goparashtra or Govarashtra, meaning "a nation of cowherds". Goa's history dates back 20,000 to 30,000 years. Portuguese came to Goa in 1510 and laid ruled the region for four and half centuries. After Independence, Portugal refused to combine Goa in Indian Union. The Indian Army began military operations resulting in the annexation of Goa into the Indian union on 19th December 1961. On 30th May 1987 Goa became Indian state from Union Territory.

Geography of Goa
Goa is situated on the western part of India. It is surrounded by Maharashtra, Karnataka and Arabian Sea. It is spread in an area of 3702 sq. km making it the smallest state in the country. Goa has a coastline of 101 km. Zuari, Terekhol, Chapora, Mandovi, kushavati and the Sal are the important rivers in the state. The Mormugao harbor is one of the best natural harbors in South Asia. Goa has tropical monsoon climates.

Government and Administration of Goa
For administration purpose Goa is divided in two districts namely north Goa and South Goa. Bharatiya Janata Party, Maharashtrawadi Gomantak Party, United Goans Democratic Party, the Nationalist Congress Party are the major political parties in the state. Bombay High Court, which has a bench in Panaji, takes care of the Jurisdiction in the state. It follows Portuguese Uniform Civil Code, based on the Napoleonic code. Goa legislative assembly consists of 40 seats and contributes two members to the Indian Assembly.

Language and culture of Goa
Fugdi, Corridinho, Mando, Dekhnni, are some of the traditional dance forms in the state. Natak, Bhajan and Kirtan are admired by Goan Hindus. Goa Trance was originated in this state. Natak, Tiatr and Zagor are some of the Goa's traditional performance arts. Ramayana and the Mahabharata are narrated with song and dance. Rice with fish curry is the famous food in the state. Goan cuisine mainly contains variety of fish dishes, which are cooked with elaborate recipes. Chili peppers, spices, vinegar, coconut and coconut oil are widely used in cooking. Feni is the famous alcoholic beverage in the state. The Goa's architecture is a combination of Indian, Islamic and Portuguese styles. Konkani is the official language and widely spoken in Goa followed by Marathi, Kannada, Hindi, Urdu, English and Portuguese.

Educational Status of Goa
Literacy rate of Goa is approximately 88%. Goa University is the only university in the state. Goa houses six engineering colleges and one medical college. Goa Engineering College and National Institute of Technology Goa are government-funded colleges in Goa. BITS Pilani inaugurated its second campus, the BITS Pilani Goa Campus, in 2004. There are two National Oceanographic Science related centers.

Economy of Goa
The Eleventh Finance Commission for its infrastructure ranked Goa the best-placed state. Goa is one of the richest states in the country. Goa's GSDP was 3 billion in 2007. Tourism is the driving factor of Goa's economy, which is followed by mining. Goa's mining mainly focuses on ores of iron, manganese, clays, Bauxite, limestone and silica. Rice is the main agricultural crop, followed by cashew, areca and coconut. Nearly 40000 people are employed in fishing industry. The Goa government has decided to not allow any special economic zones (SEZs) in the state. Beer, wine and spirits prices are comparatively low in Goa.

Tourism in Goa
Our Lady of the Immaculate Conception Church was built in 1541 and it is one of the first churches to be built in Goa. Bondla wildlife sanctuary is one of the smallest but popular wildlife sanctuary in the state. Arvalem caves also known as Pandava caves give us a chance to steep into the mythological tales. Arvalem waterfalls also known as Harvalem waterfalls, is located at north Goa. In this water falls from a height of 70 meters from sea level. The Portuguese constructed Aguda fort in 1612. Chapoli dam is in valley surrounded by hills. Mahalaxmi temple was constructed in 1413 A.D. and is dedicated to goddess Mahalaxmi. Apart from these they are number of beaches and churches, which are attracting tourists from, round the globe.

Festivals Celebrated in Goa
During Bonderarm festival, two wards in Divar Island used to engage in bitter feuds over property issues, which led to bloodshed and even death. Feast of St. Francis Xavier and Feast of Three Kings are well celebrated in the state. Shigmo is one of the colorful festivals, which is celebrated in the month of March.

भारत में प्रथम (First in India)-2

भारत में प्रथम (First in India)-2



सबसे ऊँची मूर्ति — गोमतेश्वर
सबसे बड़ा चिड़ियाघर — कोलकाता का चिड़ियाघर
सबसे ऊँचा जलप्रपात — गरसोप्पा या जोग
सबसे ऊँचा दरवाजा — बुलन्द दरवाजा
सबसे ऊँचा पत्तन — लेह (लद्दाख)
सबसे ऊँचा पशु — जिर्राफ
सबसे ऊँचा बाँध — भाखड़ा नांगल बाँध
सबसे ऊँची चोटी — गॉडविन ऑस्टिन (K-2)
सबसे ऊँची झील — देवताल झील
सबसे ऊँची मार्ग — लेह-मनाली मार्ग
सबसे ऊँची मीनार — कुतुब मीनार
सबसे लम्बी नदी — गंगा

भारतीय संसद (Indian Parliament)

भारतीय संसद (Indian Parliament)


1. भारत की संघीय व्यवस्थापिका को किस नाम से जाना जाता है?
उत्तर : संसद
2. भारतीय संसद का निर्माण कैसे होता है?
उत्तर : लोकसभा + राज्यसभा + राष्ट्रपति
3. संसद के कितने सदन है?
उत्तर : दो
4. संसद के किस सदन को ‘प्रतिनिधि सभा’ कहा जाता है?
उत्तर : लोकसभा
5. संसद का स्थायी संदन कौन-सा है?
उत्तर : राज्यसभा
6. भारतीय संसद का तीसरा अंग कौन है?
उत्तर : राष्ट्रपति

इंडिया GK (India GK)-5

इंडिया GK (India GK)-5



1. किस अधिनियम में भारत में पहली बार संघीय संरचना प्रस्तुत की गई?
 
उत्तर : 1935 का अधिनियम
2. 23 फरवरी, 1942 ई. कोरॉयल इंडियन नेवी के विद्रोहियों को आत्मसमर्पण के लिए राजी किसने किया?

उत्तर : सरदार पटेल एवं मोहम्मद अली जिन्ना
3. महात्मा गाँधी को सर्वप्रथम ‘राष्ट्रपिता’ किसने कहा था?
 
उत्तर : सुभाष चंद्र बोस ने
4. 15 अगस्त, 1947 ई. को भारत ने अपनी आजादी का पहला जश्न कहाँ मनाया था?
 
उत्तर : कलकत्ता में
5. भारत व पाकिस्तान के बीच विभाजन किस योजना के तहत हुआ?

उत्तर : माउंटबेटन योजना

Animal and Bird Knowledge-3

Animal and Bird Knowledge-3



1. To which continent are capybaras native?

Answer: South America

2. Which of these words describes mammals, in terms of body heat?

Answer: homeothermic

3. Which animal has the widest hearing range?

Answer: dolphin

4. Field ants take their name from their preferred habitat. True or false?

Answer: True

5. The word turd derives from which language’s word for excrement?

Answer: Middle English

6. How many pups does a gray wolf (Canis lupus) normally give birth to?

Answer: 4–6

Sunday 27 January 2019

GDS की वर्दी और मैं
#gds_jaihind
#26_january
#वर्दीधारी

वर्दी क्या है, वर्दी की महत्ता क्या है, वर्दी कौन पहनता है, आदि न जाने कितने ही सवाल वर्दी पर किए जा सकते हैं और उन सभी सवालों का जवाब किशन बाहेती जी ने अपने आलेख में दे दिया है तो उस पर कुछ लिखने का कोई फायदा है नहीं, आप उस आलेख का पढ़ना चाहते हैं तो इस लिंक पर जाकर पढ़ सकते हैं।
https://www.facebook.com/groups/GhumakkariDilSe/permalink/2180470392014423/

अब मैं GDS की वर्दी की अपनी कहानी आपसे शेयर करता हूं। अप्रैल 2017 में GDS फेसबुक पर जुड़ा और उसके दस दिन बाद ही मैं जबरदस्ती व्हासट्सएप्प में भी घुस गया। तब हमने देखा कि कुछ लोग टीशर्ट और टोपी पहने हुए फोटो लगा रखे हैं। हमने रितेश गुप्ता से कहा कि मुझे भी ऐसी टीशर्ट और टोपी चाहिए, तो उन्होंने मुझे संजय कौशिक जी से संपर्क करने के लिए कहा। रितेश गुप्ता ने मुझे जोड़ा था इसलिए उनसे तो बातचीत हुई थी लेकिन ये संजय कौशिक कौन हैं मुझे नहीं पता था। खैर फेसबुक पर खोजा तो कौशिक जी भी मिल गए। हमने उनसे कहा कि मुझे टीशर्ट और टोपी चाहिए तो उन्होंने मेरी अगली यात्रा के बारे में पूछा तो हमने कहा कि 15 दिन बात मुझे तिरुपति, रामेश्वरम, कन्याकुमारी और त्रिवेंद्रम जाना है उससे पहले दे दीजिएगा, लेकिन हमारे 15 दिन को उन्होंने 15 जून समझ लिया और हो गई गड़बड़।

हम 7 जून को तिरुपति के लिए प्रस्थान कर गए तब उनको याद आया लेकिन तब तक देर हो चुकी थी और हम अपनी यात्रा पर चले गए। वापसी में मुंबई में प्रतीक गांधी और बुआ जी (दर्शन कौर धनोय) मुझसे स्टेशन पर मिलने आए तो हमने पहली बार GDS का बैनर देखा तो हमने टीशर्ट-टोपी के साथ बैनर भी मांग लिए तो रितेश गुप्ता ने मुझे बैनर का कोरल फाइल भेज दिया जिसे हमने पिं्रट करवा लिया और लेकर चंद्रशिला चोटी पर पहुंच गए और अपने साथ पांच और लोगों को लेकर गए। उसके बाद एक दिन कौशिक जी ने फोन किया कि आपको टीशर्ट-टोपी देने में देर हो गई तो टीशर्ट तो नहीं है टोपी पहुंचवा देते हैं।

उसके लिए मुझे अनिल दीक्षित से सपंर्क करना था और उनसे बात हुई तो मिलने के स्थान का चयन हुआ और उसके बाद हमने अपने दुपहिया से उनके चौपहिया का पीछा करके सड़क पर दौड़ते-भागते आधा दर्जन टोपी, कलम और बैज अपने कब्जे में लिया और उसके बाद उज्जैन, ओंकारेश्वर की यात्रा पर निकल गया। उसके बाद समय आया रांसी में GDS मिलन का। एक दिन अचानक ही किशन बाहेती जी का फोन आता है कि आप अपने टीशर्ट का साइज बताइए। अब टीशर्ट के साइज से एक बात समझ नहीं आया कि हम कौन सा साइज बताएं क्योंकि हमने तो आज तक टीशर्ट पहने ही नहीं था तो साइज का क्या पता फिर अपने ही कद-काठी वाले आदमी से उसके टीशर्ट का साइज पूछा और बता दिया और मेरे लिए भी GDS का वर्दी बन गया और साथ में टोपी भी मिल गया। हमने अब तक कभी टीशर्ट पहना नहीं था और पहना भी तो एक वर्दी के रूप में जिसमें मेरी एक फोटो बहुत अच्छी आई है उस फोटो के लिए अनुराग चतुर्वेदी और देवेंद्र कोठारी जी को बहुत बहुत धन्यवाद।

उसके बाद तो हम अब कहीं भी जाते हैं उस वर्दी को साथ जरूर ले जाते हैं और यदा-कदा अनजान लोगों को भी टोपी पहना आते हैं। सबसे अंत का वाकया याद आता है तो अपने मध्यमहेश्वर यात्रा की याद आती है। जब मैं और बीरेंद्र भैया सुबह सुबह कांपते हुए मध्यमहेश्वर से बूढ़ामध्यमहेश्वर पहुंचे तो हमारे साथ ही चार और लोग वहां पहुंचे। हमने जैसे ही बैनर निकाला तो उन्होंने उस बैनर का परिचय पूछा। सब कुछ बताने के बाद उन्होंने उस बैनर के साथ शौक से फोटो खिंचवाया और टोपी टीशर्ट देखते ही उस पर भी भूखे शेर की तरह टूट पड़े। अब टोपी एक और वो पांच तो काम कैसे बने तो हुआ ये कि बैनर के साथ पांचों एक साथ खड़े होंगे और बारी बारी से टोपी लगाकर फोटो खिंचवाएंगे। उनको ऐसे करते इतनी खुशी हुई थी कि पूछिए मत। 

ऐसे ही एक वाकया याद आता है कि एक दिन बेटे ने कहा कि पापाजी मेरे एक दोस्त बता रहा था कि उसके पिताजी एक दिन फेसबुक चला रहे थे तो और वो पास ही में बैठा हुआ था तो तुम्हारे पापा का एक फोटो दिख गया जिसमें वो एक GDS लिखा हुआ टोपी और टीशर्ट पहने हुए हैं तो ये GDS क्या है तो मैंने सब कुछ बता दिया कि GDS क्या है। अब तो कहीं घूमने जाता हूं तो टोपी-टीशर्ट और बैनर देखकर लोग इतने उत्सुकता से पूछते हैं कि कुछ कहिए मत। वो जितनी उत्सुकता से पूछते हैं उससे ज्यादा आनंद लेकर हम GDS का परिचय उनको देते हैं। सब कुछ जानकर वो भी बहुत खुश होते हैं। अब आज के पोस्ट में इतना ही, क्योंकि अगर GDS के वर्दी-बैनर पर लिखने लगा तो कई पन्नों की रिपोर्ट तैयार हो जाएगी।

अरे हां एक बात तो हम भूल ही गए, जब हम मध्यमहेश्वर मंदिर पर बैनर के साथ फोटो खिंचवा रहे थे तो वहां के एक कर्मचारी ने अचानक ही पूछ दिया कि इस बैनर के साथ पिछले साल भी कुछ लोग फोटो खिंचवा रहे थे तब हमने कुछ नहीं सोचा था लेकिन आज आपको फिर वैसे ही बैनर के साथ देखकर मन में उत्सुकता हुई और पूछ लिया। अगर कोई दिक्कत न हो तो मुझे बता सकते हैं क्या कि ये क्या है? फिर हमने उनको बैनर की पूरी कथा सुनाई तो वो भी कहने लगे कि ये तो बहुत अच्छा है कि बिना जान-पहचान के भी लोग एक दूसरे से जुड़ रहे हैं और सबका एक ही धर्म है और वो है घुमक्कड़ी।

सभी फोटो : बूढ़ा मध्यमहेश्वर, 30 सितम्बर 2018

Friday 25 January 2019

दिल से ............... दिल तक

इंसान को सभी रिश्ते बने बनाए मिलते हैं और उन रिश्तों को उन रिश्तों को भरपूर तरीके से निभाते थे। धीरे धीरे समय बदला और लोग बने-बनाए रिश्तों से हटकर दूर-दराज में बसे अनजान लोगों से एक रिश्ता बनाने लगे और ऐसा नहीं था कि अनजान लोगों से ये रिश्ते पहले नहीं बनते थे। पहले भी अनजान लोगों से दोस्ती का एक रिश्ता बनता था तो बहुत ही स्नेह से निभाया जाता था। हमारे परदादा (दादा के पिताजी) ने भी एक ऐसा ही रिश्ता कहीं दूर से बनाया था जो चार पीढि़यां बीत जाने के बाद भी आज भी वैसे ही जीवंत है जैसा परदादा के समय में हुआ करता था। दोनों तरफ के परिवार बढ़े और दूर-दराज के जगहों पर जाकर बसे लेकिन वो रिश्ता आज भी उसी मिठास के साथ हमारे साथ-साथ चल रहा है। आज भी उस तरह के रिश्ते बन रहे हैं जिन्हें हम नहीं जानते और लेकिन हम उनसे जुड़ जाते हैं और कुछ दूर तक या बहुत दूर तक साथ निभाते हैं।

बदलते समय में सब कुछ बदला और एक सोशल मीडिया ने आकार लिया जो कई नामों से हमारे बीच जाना जाता है। उसी सोशल मीडिया पर लोग एक दूसरे से जुड़ने लगे और रिश्तों की डोर में बंधने लगे। कुछ लोग कहते हैं कि ये सोशल मीडिया तो बस ये है, वो है, बेकार है आदि आदि, जितने लोग उतने तरह की बातें। कुछ कहते हैं बस ये रिश्ते मोबाइल और कंप्यूटर तक ही जीवंत रहते हैं, कुछ कहते हैं कि आपके दुख में जरूरत पड़ने पर ये रिश्ते आपसे दूर भाग जाते हैं, तो कुछ कहते हैं कि खुद की खुशियों के समय में ये रिश्ते भी अपने तक ही सीमित रह जाते हैं और इंटरनेट पर बने ये रिश्ते उन्हें याद तक नहीं आते। जो ऐसा कहते हैं उनका कहना भी गलत नहीं है। हर दिन हर व्यक्ति का दो-चार-दस लोगों से परिचय होता है और दो-चार दिन के बाद वो परिचय समाप्त हो जाता है और फिर से अनजान बन जाते हैं लेकिन कुछ लोगों का परिचय एक बंधन में बंध जाता है जिसमें प्यार, प्रेम, स्नेह, आशीर्वाद सब कुछ होता है और एक-दूसरे के सुख-दुख में शामिल होने की ललक भी होती है।

जिस सोशल मीडिया को कुछ लोग अच्छा, कुछ लोग बुरा, तो कुछ लोग टाइम पास और भी न जाने क्या-क्या कहते हैं, उसी सोशल मीडिया में लोग ग्रुपों का निर्माण करने लगे और उन्हीं ग्रुपों में एक ग्रुप ने आकार लिया जिसका नाम है GDS (घुमक्कड़ी दिल से), जो अब एक सोशल मीडिया का एक ग्रुप न रहकर एक परिवार में तब्दील हो चुका है, जहां बुआ, दीदी, भाई आदि रिश्ते मौजूद हैं। इसी GDS परिवार में मुम्बई निवासी दर्शन कौर धनोय हैं जिन्हें बुआ की उपाधि से सम्मानित किया गया है और उस नाम को उन्होंने हृदय से स्वीकार भी किया है और केवल स्वीकार ही नहीं किया उसे निभा भी रही हैं।

अभी 22 जनवरी 2019 इन्हीं बुआ जी की बेटी की शादी में शामिल होकर लौटा हूं। बुआ जी ने हम सब घुमक्कडों को शादी में शामिल होने के लिए स्नेहपूर्वक आमंत्रित किया और जिसे लोगों ने दिल से स्नेहपूर्वक सहर्ष स्वीकार किया। जब शादी का दिन तय हुआ था तभी इन्होंने सबको अपनी तरफ से शादी की तिथि की सूचना सबको दे दिया था कि अमुक तिथि को शादी है। उसके बाद ऐसा भी नहीं कि निमंत्रण देने के बाद इनका काम खत्म हो गया था। बुआ जी का असली काम तो अब शुरू था कि कौन-कौन आएगा, कौन नहीं आ पाएगा, और आएगा तो किस साधन से आएगा, किस तरह पहुंचेगा, कहां रुकेगा आदि आदि। शादी से करीब दो महीने पहले इन्होंने एक व्हाट्सएप्प ग्रुप बनाकर सबको इकट्ठा किया और आने-जाने की सारी जानकारियां आदि की जानकारी देती और लेती रहीं। कौन किस दिन पहुंचेगा, किस साधन से पहुंचेगा, किसकी टिकट बन गई, किसकी नहीं बनी आदि आदि जानकारियां वो लेती रही।

आज की भागती दौड़ती जिंदगी में जहां लोग अपने सगे-संबंधियों और नाते-रिश्ते को भूलते जा रहे हैं वहां आभासी दुनिया से बने रिश्तों से ऐसे खुशी के मौके पर जब आमंत्रण आता है तो मन अपने आप गुलाब के फूलों की तरह खिल उठता है, बिना बरसात के भी मन के आसमान में बरसने वाले बादल दौड़ने लगते हैं। मन में एक अलग तरह की खुशियों का संचार होने लगता है। जहां हमारे जन्म से बने-बनाए रिश्ते अपनी खुशियों में हमें शामिल करना छोड़ रहे हैं वहां आभासी दुनिया से जुड़े लोग अपनी खुशियों में शामिल होने के लिए बुलावा भेजते हैं तो आंखों से दो बूंद अवश्य छलकते हैं जिसमें कुछ खुशियां भी होती है और कुछ गम भी। गम इस बात का कि जो हमारे थे वो मुझे भूलने लगे हैं और खुशी इस बात की जिनको हम केवल नाम से जानते हैं, कभी देखा नहीं, कभी मिला नहीं वो हमें अपने पास बुला रहे हैं।

शादी का कार्यक्रम 21 और 22 जनवरी को जयपुर में था जिसमें कई लोग देश के विभिन्न हिस्सों से वहां पहुंचे। शादी में अपनी उपस्थिति दर्ज कराने के लिए कई सारे साथी तैयार हुए लेकिन कुछ साथियों का आवश्यक कार्यों के कारण शादी में उपस्थित होना मुश्किल हो गया और वो वहां तक नहीं पहुंच सके। कुछ साथियों ने समय निकाला और शादी में उपस्थित हुए। वहां पहुंचने वाले लोगों में संजय कौशिक (सोनीपत), रुपेश शर्मा (ग्रेटर नोएडा), अभ्यानन्द सिन्हा (दिल्ली), संगीता बलोदी (मुम्बई), चारु दुबे (मुम्बई), रितेश गुप्ता (आगरा से सपरिवार), देवेन्द्र कोठारी (जयपुर से सपरिवार) और सुशांत सिंघल (सहारनपुर) थे। कुछ और नाम हैं जो किसी कारणवश वहां नहीं पहुंच सके लेकिन उनका मन उस शादी में ही लगा था, तभी कुछ कुछ देर पर उन लोगों के फोन और मैसेज आ रहे थे। ये फोन और मैसेज आना ये बता रहे थे कि वो यहां न आकर भी हमारे साथ हैं।

शादी में शामिल होने के हिसाब से सभी लोगों को 21 जनवरी को किसी समय पहुंचना था लेकिन सभी भाई-बंधु के मन में शादी में शामिल होने की ऐसी ललक लगी हुई थी कि उससे भी एक दिन पहले वहां पहुंच गए और कोठारी जी (देवेंद्र कोठारी और कंचन कोठारी) जी के यहां डेरा डाल दिए। ऐसा भी नहीं कि वहां जाकर केवल डेरा डाले, वहां पहुंचकर कोठारी जी (सपरिवार) के साथ दो दिनों तक जयपुर में घुमक्कड़ी करते रहे। कोठारी जी के यहां भी हम सब पहली ही बार गए थे लेकिन उनके यहां जो प्यार और स्नेह मिला उसके लिए क्या कहें, कहां से ऐसे शब्द लाएं जो उनके स्नेह को दर्शा सके, शब्द नहीं हैं हमारे पास उस स्नेह को दर्शाने के लिए। दो दिनों तक हम कोठारी जी के यहां रहे और जो अपनापन और स्नेह उन्होंने बरसाया कि क्या कहूं। वो कहते हैं कि बरसात में तो केवल तन भीगता है लेकिन उनके स्नेह ने हम सबके मन को भीगो दिया। दो दिन तक हर मिनट दर मिनट दोनों ने हम सबका खयाल रखा और इतना ही नहीं दो दिनों तक सुबह से लेकर रात तक और फिर सुबह से लेकर शाम तक सबको जयपुर के दर्शनीय स्थलों की सैर कराते रहे। उनके साथ बिताए हुए ये पल पूरी जिंदगी में एक मिनट के लिए भी धुंधली नहीं पड़ेगी। गुड़ की मिठास तो कुछ देर के लिए होती है लेकिन उनके प्रेम की मिठास बस पूछिए मत।

अरे हां, इन सब विवरणों में एक और दम्पत्ति की कहानी तो छूट ही गई, वो हैं संजय कौशिक जी के मित्र राकेश गुलिया और उनकी पत्नी मीनाक्षी गुलिया। वैसे तो मीनाक्षी जी से हम सबकी मुलाकात GDS के जोधपुर सम्मेलन में हुई थी और तभी उन्होंने अपने घर आने का न्यौता दिया था। वो न्यौता पूरा करने का दिन इतनी जल्दी आएगा इसका पता नहीं था। जैसे ही संजय कौशिक द्वारा पता चला कि हम लोग उधर से ही गुजर रहे हैं तो उन्होंने सीधा प्रेम मिश्रित आदेश दिया कि बिना घर गए यहां से आगे नहीं बढ़ सकते। अब उस प्रेम मिश्रित आदेश को ठुकराने की हिम्मत तो किसी में नहीं थी तो जयपुर से दिल्ली जाते हुए उनके घर पर पहुंच गए।

वहां पहुंचा तो देखते ही आश्चर्य की सीमा नहीं रही। हम लोगों के पहुंचने से पहले ही पूरे भोज की तैयारी उन दोनों ने कर रखा था। वो बाजरे की रोटी, तरह तरह की चटनियां, ताजे ताजे दही से निकाले हुए कटोरा भर के मक्खन और बाल्टी भर के मट्ठा (लस्सी), गुड़ और भी न जाने कई चीजें। वहां बैठकर हम लोगों ने जो खाना शुरू किया तो क्या कहें बस खाते ही चले गए और मेरी खुद की हालत ऐसी हुई कि हम उठने लायक भी नहीं रहे। खाने के बाद दो लोगों ने जब उठाया तो हम ठीक से उठ पाए। वापसी में भी उनका आदेश था कि चाहे जिस समय भी गुजरे यहां से होकर ही जाना है। अब वापसी में समय ऐसा कि जब वहां से गुजर रहे थे रात के करीब एक बज रहे थे और उनसे मिलना भी जरूरी था क्योंकि ये उनका आदेश था। पहले तो लगा कि इतनी रात में जगाना ठीक नहीं है लेकिन न जाने पर भी उनको दुख होता तो फिर पहुंच गए रात को एक बजे उनको परेशान करने और चाय पीकर और कुछ मीठी-प्यारी बातें करने के बाद फिर आगे के सफर पर चल पड़े थे। उनके यहां भी जो प्यार और अपनापन मिला वो कभी न भूलने वाले पलों में शामिल हुआ। उनकी मुलाकात लस्सी में मिले गुड़ की तरह तन-मन में बस गया।

कोठारी दम्पत्ति और गुलिया दम्पत्ति की मुलाकात पर कहने के लिए हमारे पास शब्द नहीं है। फिर भी इतना तो कह ही सकते हैं कि आज के समय जहां लोग मिलने के नाम पर बहाने बना लेते हैं कि हम बाहर जा रहे हैं, उस दिन हमें काम है और हम उपलब्ध नहीं होंगे, आदि आदि न जाने कितने बहाने। वहीं आभासी दुनिया में केवल नाम से परिचय होने के बावजूद रास्ते में स्वागत के लिए अपनी पलकें बिछाए जब ऐसे लोग तैयार मिलते हैं तो मन का मयूर ऐसे नाचता है जैसे बारहों महीने सावन हो, मन में बसी कलियां ऐसे खिलती है जैसे बसंत आ गया हो। अंततः यहीं कह सकते हैं कि जहां प्रेम मिले वहीं मन लगता है।

जब बुआ का निमंत्रण आया था तो लगा था कि अनजान जगह, अनजान लोग, अनजान शहर में कैसा महसूस होगा लेकिन वहां पहुंचकर हमें लगा ही नहीं कि हम किसी अनजान जगह पर अनजान लोगों के बीच आए हैं। मुझे लगता है कि शायद यही भाव बुआ के मन में उठ रहा होगा कि शादी में शामिल होने के लिए इतने लोगों को बुलाया है, पता नहीं उनको यहां आकर अच्छा लगेगा या नहीं लगेगा, वो लोग यहां आकर कैसा महसूस करेंगे, और इसके अलावा भी न जाने उनके मन में हमारी तरह कितने भाव आते-जाते रहे होंगे। पर बुआ जी एक बात हम अपनी तरफ से और वहां पहुंचे सभी साथियों की तरफ से आपको बताते हैं, लेकिन आप इसे अपने तक ही सीमित रखिएगा किसी को बताइएगा नहीं। बुआ जी, हम सभी ने पूरा पूरा आनंद लिया वहां जाकर, बहुत मजा आया था, वहां से आने का मन नहीं कर रहा था फिर भी आना पड़ा। वहां बिताए हर पल हम लोगों के लिए एक यादगार पल के रूप में सदा ही साथ रहेगा। आपसे इतना प्यार और स्नेह मिला उसके लिए कुछ कह नहीं सकता। बस यही कि बार बार ऐसे मौके पर जाने का मौका मिले।

जब हम अपने रिश्तेदारी में शादी में जाते हैं तो सभी लोग पहले से परिचित होते हैं लेकिन यहां हम सबके लिए वहां उपस्थित सभी लोग अपरिचित थे लेकिन हम सबके वहां पहुंचने पर बुआ ने वहां उपस्थित लोगों से हम सबका परिचय करवा दिया जिससे हमें कहीं अहसास ही नहीं हुआ कि हम ऐसे जगह हैं जहां हमें कोई नहीं जानता। बुआ की बचपन कुछ सहेलियों को भी हम लोगों ने बुआ बना दिया जिनमें दो के नाम हैं अलजीरा लोबो और रुक्मिणी मुंदरा। बुआ ने इस शादी में बुलाकर एक नई परम्परा को जन्म दिया है, एक नए सफर की शुरुआत किया है जिसमें हम उनके साथ कदम से कदम मिलाकर चलने की कोशिश करेंगे। कोशिश इसलिए कि कोशिशें ही कामयाब होती है, वादों का क्या वो तो टूट जाते हैं।

इस शादी में आना जाना और आपसी संबंध जिस चीज के कारण है उसका नाम है GDS (घुमक्कड़ी दिल से) और बिना GDS के ये संभव नहीं था। GDS के पूरे नाम में जो दिल शब्द है वो वास्तविक में दिल से ही है, इसे समझने के लिए भी एक दिल चाहिए, दिमाग लगाकर इसे समझ पाना संभव नहीं है, केवल दिल से ही समझ सकते हैं। एक बात जो मैं लिखना भूल ही गया। जब हम सब शादी में शामिल होने के बाद वापिस आ रहे थे तो विदाई मुलाकात के समय विवाह मंडप में पूरे घरातियों और बरातियों के सामने जब बुआ ने कहा कि अब निकालो GDS का बैनर, अब लगाओ अपना नारा जो तुम लोग लगाते हो तो हम सब शब्दहीन हो गए। किसी को इस बात की तो उम्मीद ही नहीं थी कि ऐसा भी हो सकता है। विवाह मंडप में मंच पर इस तरह नारा लगाना बहुत ही मुश्किल काम था। हम लोगों के मना करने के बाद भी बुआ नहीं मानाी और GDS जिंदाबाद, घुमक्कड़ी दिल से....मिलेंगे फिर से का नारा लगवा ही दिया, और उसके बाद हम सबने बुआ से विदाई लिया और मीठी-मीठी यादों को मन में बसाए अपने घर की तरफ चल पड़े।

अब अंत में केवल यही जय GDS और जय GDS।