Wednesday 14 July 2021

मुहावरे और लोकोक्तियाँ (Phrases and Proverbs)

मुहावरे और लोकोक्तियाँ (Phrases and Proverbs)


मुहावरा : कोई भी ऐसा वाक्यांश जो अपने साधारण अर्थ को छोड़कर किसी विशेष अर्थ को व्यक्त करे उसे मुहावरा कहते हैं।

लोकोक्ति : लोकोक्तियाँ लोक-अनुभव से बनती हैं। किसी समाज ने जो कुछ अपने लंबे अनुभव से सीखा है उसे एक वाक्य में बाँध दिया है। ऐसे वाक्यों को ही लोकोक्ति कहते हैं। इसे कहावत, जनश्रुति आदि भी कहते हैं।
मुहावरा और लोकोक्ति में अंतर- मुहावरा वाक्यांश है और इसका स्वतंत्र रूप से प्रयोग नहीं किया जा सकता। लोकोक्ति संपूर्ण वाक्य है और इसका प्रयोग स्वतंत्र रूप से किया जा सकता है। जैसे-‘होश उड़ जाना’ मुहावरा है। ‘बकरे की माँ कब तक खैर मनाएगी’ लोकोक्ति है।

कुछ प्रचलित मुहावरे

1. अंग संबंधी मुहावरे
1. अंग छूना  (कसम खाना) : मैं अंग छूकर कहता हूँ साहब, मैने पाजेब नहीं देखी।
2. अंग-अंग मुसकाना (बहुत प्रसन्न होना) : आज उसका अंग-अंग मुसकरा रहा था।
3. अंग-अंग टूटना (सारे बदन में दर्द होना) : इस ज्वर ने तो मेरा अंग-अंग तोड़कर रख दिया।
4. अंग-अंग ढीला होना (बहुत थक जाना) तुम्हारे साथ कल चलूँगा। आज तो मेरा अंग-अंग ढीला हो रहा है।

मुहावरे (Phrases)

मुहावरे (Phrases)

 

ऐसे वाक्यांश, जो सामान्य अर्थ का बोध न कराकर किसी विलक्षण अर्थ की प्रतीति कराये, मुहावरा कहलाता है।
अरबी भाषा का 'मुहावर:' शब्द हिन्दी में 'मुहावरा' हो गया है। उर्दूवाले 'मुहाविरा' बोलते हैं। इसका अर्थ 'अभ्यास' या 'बातचीत' से है। हिन्दी में 'मुहावरा' एक पारिभाषिक शब्द बन गया है। कुछ लोग मुहावरा को रोजमर्रा या 'वाग्धारा' कहते है।
मुहावरा का प्रयोग करना और ठीक-ठीक अर्थ समझना बड़ा ही कठिन है, यह अभ्यास और बातचीत से ही सीखा जा सकता है। इसलिए इसका नाम मुहावरा पड़ गया
मुहावरे के प्रयोग से भाषा में सरलता, सरसता, चमत्कार और प्रवाह उत्पत्र होते है। इसका काम है बात इस खूबसूरती से कहना की सुननेवाला उसे समझ भी जाय और उससे प्रभावित भी हो।

एकार्थक प्रतीत होने वाले शब्द (Synonymous)

एकार्थक प्रतीत होने वाले शब्द (Synonymous)



1. अस्त्र- जो हथियार हाथ से फेंककर चलाया जाए। जैसे-बाण।
शस्त्र- जो हथियार हाथ में पकड़े-पकड़े चलाया जाए। जैसे-कृपाण।

2. अलौकिक- जो इस जगत में कठिनाई से प्राप्त हो। लोकोत्तर।
अस्वाभाविक- जो मानव स्वभाव के विपरीत हो।
असाधारण- सांसारिक होकर भी अधिकता से न मिले। विशेष।

3. अमूल्य- जो चीज मूल्य देकर भी प्राप्त न हो सके।
बहुमूल्य- जिस चीज का बहुत मूल्य देना पड़ा।

4. आनंद- खुशी का स्थायी और गंभीर भाव।
आह्लाद- क्षणिक एवं तीव्र आनंद।
उल्लास- सुख-प्राप्ति की अल्पकालिक क्रिया, उमंग।
प्रसन्नता-साधारण आनंद का भाव।