Thursday 23 March 2017

अमन की चतुराई

कहानी : अमन की चतुराई


अमन अपने दादा जी के साथ रहता था। वह बहुत होनहार और समझदार था। अमन अपना समय बेकार के कामों में न गँवाकर घर के काम-काज में दादा जी की सहायता करता था। अमन के दादा जी की इच्छा थी कि वह कुछ पूँजी अपने पोते के लिए छोड़कर इस दुनिया से विदा लें। अपनी लगन और मेहनत से उन्होंने थोड़ी-थोड़ी बचत करके सोने की कुछ मोहरें इकट्ठी भी कर ली थीं।

संयुक्त राष्ट्र संघ (United Nations Organization)

संयुक्त राष्ट्र संघ (United Nations Organization)


  1. संयुक्त राष्ट्र संघ की स्थापना कब हुई थी – 26 जनवरी 1945
  2. संयुक्त राष्ट्र संघ घोषणा पत्र पर कब हस्ताक्षर किये गए – 26 जुलाई 1945
  3. संयुक्त राष्ट्र संघ की स्थापना के समय सदस्यों की कुल कितनी संख्या थी – 50
  4. संयुंक्त राष्ट्र संघ का मुख्यालय कहा स्थित है – न्यूयॉर्क
  5. संयुक्त राष्ट्र की कार्यकारी भाषा कौनसी है – फ्रेंच
  6. विश्व की किस भाषा को संयुक्त राष्ट्र संघ की महासभा के कामकाज को पांचवी भाषा के रूप में स्वीकृति मिली है – चीनी
  7. संयुक्त राष्ट्र संघ के प्रथम महासचिव कौन थे – त्रिवेली
  8. संयुक्त राष्ट्र संघ का सबसे नया सदस्य कौन -सा देश है – दक्षिण सूडान
  9. संयुक्त राष्ट्र संघ के महासचिव के कार्यकाल की अवधि क्या है – 5 वर्ष
  10. संयुक्त राष्ट्र संघ के महासचिवों की नियुक्ति कैसे की जाती है – सुरक्षा परिषद् की संस्तुति पर महासभा द्धारा
  11. संयुक्त राष्ट्र संघ की महासभा की पहली भारतीय महिला प्रतिनिधि थी – डॉ विजय लक्ष्मी पण्डित

कम्प्यूटर वायरस (Computer Virus)

कम्प्यूटर वायरस (Computer Virus)


वायरस एक प्रोग्राम है जो हमारे कम्प्यूटर सिस्टम में बिना हमारी इच्छा तथा जानकारी के लोड हो जाता है । एक वायरस बार-बार खुद की प्रतिलिपि तैयार कर सकता है और उपलब्ध सारे मेमोरी का उपयोग कर सिस्टम की गति को धीरे या पूर्णतः रोक सकता है । कुछ वायरस कम्प्यूटर के बूटिंग से स्वंय को जोड़ लेता है तथा जितनी बार कम्प्यूटर बूट करता है वह उतना ही फैलता जाता है या कम्प्यूटर को रिबूट करता करता रहता है । वह कम्प्यूटर के डेटा या प्रोग्राम को क्षति पहुँचाता है । हमारे कम्प्यूटर में वायरस के आने का सामान्य तरीका इंटरनेट तथा अवांछित ई-मेल है ।

पाठ-बोधन (Reading Comprehension)

पाठ-बोधन (Reading Comprehension)

किसी दिए गए पाठ को पढ़कर अध्येता द्वारा प्रतिपाद्य विषय तथा गद्यांश में निहित मूल अर्थ को हृदयंगम करना ही पाठ-बोधन कहलाता है।
इस प्रकार का अभ्यास परीक्षार्थी की योग्यता को जाँचने का सर्वाधिक मापदण्ड होता है। इससे परीक्षार्थी की सही सूझ-बूझ तथा ग्रहण करने की सही क्षमता की परख की जा सकती हैं।
पाठ-बोधन संबंधी सामान्य बातें
(1) दिए गए पाठ का स्तर, विचार, भाषा, शैली आदि प्रत्येक दृष्टि से परीक्षा के स्तर के अनुरूप होता है।
(2) पाठ का स्वरूप साहित्यिक (अधिकांशतः), वैज्ञानिक, विवरणात्मक आदि होता है।
(3) दिया गया पाठ अपठित (अर्थात जो पढ़ा न गया हो) होता है।
(4) अपठित पाठ प्रायः गद्यांश होते हैं, किसी-किसी परीक्षा में पद्यांश भी।
(5) पाठ से ही संबंधित कुछ वस्तुनिष्ठ प्रश्न नीचे दिए गए होते है तथा प्रत्येक के चार/पाँच वैकल्पिक उत्तर सुझाए गए होते हैं। परीक्षार्थी को इनमें से सही उत्तर चुनकर उसे निर्देशानुसार चिन्हित करना होता है।