Thursday 29 June 2017

राजस्थान का मन्दिर स्थापत्य (Temple Architecture of Rajasthan)

मन्दिर स्थापत्य (Temple Architecture)


1. राजस्थान में जो मंदिर मिलते हैं, उनमें सामान्यतः एक अलंकृत प्रवेश-द्वार होता है, उसे ‘तोरण-द्वार’ कहते हैं।
2. सभा-मण्डप- तोरण द्वार में प्रवेश करते ही उपमण्डप आता है। तत्पश्चात् विशाल आंगन आता है, जिसे ‘सभा-मण्डप’ कहते हैं।
3. मूल-नायक- मंदिर में प्रमुख प्रतिमा जिस देवता की होती है उसे ‘मूल-नायक’ कहते हैं।
4. गर्भ-गृह- सभा मण्डप के आगे मूल मंदिर का प्रवेश द्वार आता है। मूल मन्दिर को ‘गर्भ-गृह’ कहा जाता है, जिसमें ‘मूल-नायक’ की प्रतिमा होती है।
5. गर्भगृह के ऊपर अलंकृत अथवा स्वर्णमण्डित शिखर होता है।
6. प्रदक्षिणा पथ- गर्भगृह के चारों ओर परिक्रमा लगाने के लिए जो गलियारा होता है, उसे ‘पद-प्रदक्षिणा पथ’ कहा जाता है।
7. पंचायतन मंदिर- मूल नायक का मुख्य मंदिर चार अन्य लघु मंदिरों से परिवृत (घिरा) हो तो उसे “पंचायतन मंदिर” कहा जाता है।