Monday, 12 July 2021

व्याख्या (Explanation)

व्याख्या (Explanation)

'व्याख्या' किसी भाव या विचार के विस्तार और विवेचन को कहते हैं।

व्याख्या न भावार्थ है, न आशय। यह इन दोनों से भित्र है। नियम भी भित्र है। 'व्याख्या' किसी भाव या विचार के विस्तार और विवेचन को कहते हैं। इसमें परीक्षार्थी को अपने अध्ययन, मनन और चिन्तन के पदर्शन की पूरी स्वतन्त्रा रहती है।

व्याख्या के प्रकार


प्रसंगनिर्देश व्याख्या का अनिवार्य अंग है। इसलिए, व्याख्या लिखने के पूर्व प्रसंग का उल्लेख कर देना चाहिए, पर प्रसंगनिर्देश संक्षिप्त होना चाहिए। परीक्षाभवन में व्याख्या लिखते समय परीक्षार्थी प्रायः दो-दो, तीन-तीन पृष्ठों में प्रसंगनिर्देशकरते है और कभी-कभी मूलभाव से दूर जाकर लम्बी-चौड़ी भूमिका बांधने लगते हैं। यह ठीक नहीं। उत्तम कोटि की व्याख्या में प्रसंगनिर्देश संक्षिप्त होता है। ऐसी कोई भी बात न लिखी जाय, जो अप्रासंगिक हो। अप्रासंगिक बातों को ठूँस देने से अव्यवस्था उत्पत्र हो जाती है। अतः परीक्षार्थी को इस बात का ध्यान रखना चाहिए कि व्याख्या में कोई बात फिजूल और बेकार न हो। प्रसंगनिर्देशविषय के अनुकूल होना चाहिए।

व्याख्या में मूल के भावों और विचारों का समुचित और सन्तुलित विवेचन होना चाहिए। यहाँ परीक्षार्थीको अपनी स्वतन्त्र बुद्धि और विद्या से काम लेने का पूरा अधिकार है। विषय के विवेचन में विचारों के सत्यासत्य का निर्णय किया जाता है। इसलिए, विचारो का विवेचन में विचारों के सत्यासत्य का निर्णय किया जाता है। इसलिए, विचारों का विवेचन करते समय छात्र को विषय के गुण और दोष, दोनों की समीक्षा करनी चाहिए। यदि वह चाहें, तो उसके एक ही पक्ष का विवेचन कर सकता है। लेकिन, अच्छी व्याख्या में विचारों या भावों का सन्तुलित विवेचन अपेक्षित है। यदि छात्र मूल के भावों से सहमत है, तो उसे उसकी तर्कसंगत पुष्टि करनी चाहिए और यदि असहमत है, तो वह उसका खण्डन भी कर सकता है।

व्याख्या में खण्डन-मण्डन से पहले मूल के भावों का सामान्य अर्थ अथवा भावार्थ लिख देना चाहिए, ताकि परीक्षक यह जान सके कि छात्र ने उसका सामान्य अर्थ भली भाँति समझ लिया है। व्याख्या में भावार्थ अथवा आशय का इतना ही काम है। भावार्थ के बाद विषय का विवेचन होना चाहिए।

व्याख्या लिखने के लिए पहले लम्बी-लम्बी पंक्तियाँ दी जाती थी। लेकिन अब एक-दो पंक्तियों या वाक्यों का अवतरण दिया जाता है। इन दो तरह के अवतरणों की व्याख्या लिखते समय थोड़ी सावधानी बरतनी चाहिए। जब कोई बड़ा-सा अवतरण व्याख्या के लिए दिया जाय, तब समझना चाहिए कि इसमें अनेक विचारों का समावेश हो सकता है। ऐसी स्थिति में विद्यार्थी को अवतरण के मूल और गौण भावों की खोज करनी चाहिए। इसके विपरीत, जब एक-दो पंक्तियों का अवतरण दिया जाय, तब छात्रों को उन्हीं शब्दों का विवेचन करना चाहिए, जिनसे भाव स्पष्ट हो जाय। छोटे अवतरणों में भावों की अधिकता रहती है। व्याख्या में इन्हीं गूढ़ भावों का विस्तार होना चाहिए।

सम्यक विवेचन के बाद अन्त में कठिन शब्दों का अर्थ, टिप्पणी के रूप में दे देना चाहिए। इस तरह व्याख्या समाप्त होती है।

व्याख्या के लिए आवश्यक निर्देश

मूल अवतरण से व्याख्या बड़ी होती है। इसकी लम्बाई-चौड़ाई के सम्बन्ध में कोई निश्र्चित सलाह नहीं दी जा सकती। छात्रों को सिर्फ यह देखना है कि मूल भावों अथवा विचारों का समुचित और सन्तोषजनक विवेचन हुआ या नहीं। इन बातों को ध्यान में रखकर अच्छी और उत्तम व्याख्या लिखी जा सकती है। इसके बजाय इसमें निम्नलिखित बातें होनी चाहिए-

(1) व्याख्या में प्रसंग-निर्देश अत्यावश्यक है।
(2) प्रसंग-निर्देश संक्षिप्त, आकर्षक और संगत होना चाहिए।
(3) व्याख्या में मूल विचार या भाव का संतोषपूर्ण विस्तार हो
(4) अंत में शब्दार्थ लिखे जायँ
(5) मूल के विचारों का खण्डन या मण्डन किया जा सकता है।
(6) मूल के विचारों के गुण-दोषों पर समानरूप से प्रकाश डालना चाहिए।
(7) यदि कोई महत्त्वपूर्ण बात हो, तो उसपर अन्त में टिप्पणी दे देनी चाहिए।

पश्र-निम्नलिखित पंक्तियों की सप्रसंग व्याख्या करें-

तुमने मुझे पहचाना नहीं। तुम्हारी आँखों पर चर्बी छाई हुई है। कंगाल ही कलियुग का कल्कि-अवतार है।

व्याख्या- ये पंक्तियाँ हिंदी के सुप्रसिद्ध कहानी-लेखक राजा राधिकारमण प्रसाद सिंह की कहानी 'दरिद्रनारायण' से ली गयी हैं। इन पंक्तियों में लेखक धनवानों को यह बताना चाहता है कि इस युग में कंगाल ही भगवान है। वे भगवान को पाने के लिए तीर्थो में जाकर पंडों को धन का दान करते है, पर वह धन कंगालों या गरीबों को मिलना चाहिए, क्योंकि कंगाल ही धन के सही अधिकारी हैं। धनी लोग धन के घमंड में चूर है; वे गरीबों की दर्दभरी कहानी नहीं सुनते। उनकी आँखों पर घमंड का चश्मा चढ़ा है या उनपर चर्बी छायी है। जबतक वे इस चश्मे को उतार नहीं फेंकते, तबतक कलियुग के कल्कि-अवतार के दर्शन नहीं कर सकते। इस युग का भगवान कंगाल है, गरीब है। उसकी सेवा ही आज भगवान की सबसे बड़ी पूजा है।

1 comment:

  1. Casino Online | Slots | Deposit to get 200% bonus
    Enjoy 김해 출장안마 a real Vegas experience 통영 출장안마 playing online slots from 사천 출장샵 anywhere! Play the 강원도 출장마사지 most exciting casino games from slots machines to table games! 대구광역 출장샵 Play Online Slot

    ReplyDelete