गुप्त राजवंश : महत्वपूर्ण तथ्य (Gupta Empire: Important Facts)
- गुप्त वंश की स्थापना श्रीगुप्त ने की थी।
- श्री गुप्त ने मगध के मृग शिखातन में एक मंदिर का निर्माण करवाया था।
- श्री गुप्त ने महाराज की उपाधि हासिल की थी।
- श्री गुप्त ने धटोत्कच्ा को अपना उत्तराधिकरी बनाया था।
- धटोत्कच ने अपने उत्तराधिकरी के रूप में चन्द्रगुप्त प्रथम को गद्दी पर बिठाया था।
- गुप्त वंश का सबसे महान सम्राट चन्द्रगुप्त प्रथम था।
- इसने महाराजाधिराज की उपाधि धारण की थी।
- चन्द्रगुप्त प्रथम ने लच्छवी कुल की कन्या कुमारदेवी से शादी की थी।
- चन्द्रगुप्त प्रथम ने अपने उत्तराधिकारी के रूप में अपने पुत्र समुद्रगुप्त को राजगद्दी पर बिठाया और सन्यास ग्रहण कर लिया था।
- समुद्रगुप्त 335 ई० में राजगद्दी पर बैठा था।
- समुद्रगुप्त विष्णु का उपासक था।
- समुद्रगुप्त ने अश्वमेघकर्ता की उपाधि धारण की थी।
- समुद्रगुप्त संगीत का बहुत प्रेमी था।
- गुप्त कालीन सिक्कों में समुद्रगुप्त को वीणा वादन करते हुऐ दिखाया गया है।
- श्री लंका के राजा मेघवर्मन ने कुछ उपहार भेज कर समुद्रगुप्त से गया में बौद्ध मंदिर बनबाने की अनुमति मॉगी थी।
- भारतीय इतिहास में समुद्रगुप्त को भारत का नेपोलियन भी कहा जाता है।
- समुद्रगुप्त को कविराज भी कहा जाता है।
- समु्द्रगुप्त ने 355 ई० से 375 ई० राज किया था।
- समुद्रगुप्त के बाद रामगुप्त राजगद्दी पर बैैठा था।
- रामगुप्त की हत्या चन्द्रगुप्त द्वतीय ने की थी।
- चन्द्रगुप्त द्वतीय 380 ई० में राजगद्दी पर बैठा था।
- चन्द्रगुप्त द्वतीय ने विक्रमादित्य की उपाधि भी धारण की थी।
- चन्द्रगुप्त द्वतीय को शकों पर विजय पाने के लिए शकारि भी कहा जाता था।
- शकों को पराजित करने के उपलक्ष्य में चन्द्रगुप्त द्वतीय ने चॉदी के विशेष सिक्के जारी किये थे।
- चन्द्रगुप्त द्वतीय ने वाकाटक राज्य को अपने राज्य में मिलाकर उज्जैन को अपनी राजधानी बनाया था।
- चन्द्रगुप्त द्वतीय के दरबार के नवरत्न कालिदास, आर्यभट्ट, वराहमिहिर, ब्रह्मगुप्त, धन्वंतरि, तथा। अमरसिंह आदि थे।
- चीनी यात्री फाह्यान चन्द्रगुप्त के शासन काल में भारत आया था।
- चन्द्रगुप्त द्वतीय ने 380 ई० से 413 ई० तक शासन किया था।
- चन्द्रगुप्त के बाद कुमार गुप्त राजगद्दी पर बैठा था।
- चन्द्रगुप्त द्वतीय के शासन काल में सस्कृत के सबसे महान कवि कालिदास थे।
- चन्द्रगुप्त द्वतीय के दरवार में रहने वाले आयुर्वेदाचार्य धन्वंतरि थे।
- नालन्दा विश्वविद्यालय के संस्थापक कुमारगुप्त था।
- कुमारगुप्त के बाद स्कन्दगुप्त राजगद्दी पर बैठा था।
- स्कन्दगुप्त ने विक्रमादित्य की उपाधि धारण की थी।
- स्कन्द गुप्त के काल मे ही हूणों का भारत पर हुआ था।
- गुप्त वंश का अंतिम महान सम्राट स्कन्दगुप्त था।
- गुप्त काल का अंतिम शासक भानुगुप्त था।
- गुप्त काल में राजपद वंशानुगत सिद्धांत पर आधारित था।
- गुप्त सम्राट न्यान, सेना एवं दीवानी विभाग का प्रधान होता था।
- गुप्त काल में सबसे बडी प्रादेशिक इकाई देश थी। जिसके शासक को गोजा कहा जाता था।
- गुप्त काल में पुलिस विभाग के साधारण कर्मचारियों को चाट एवं भाट कहा जाता था।
- गुप्त काल में उज्जैन नगर सर्वाधिक महत्वपूर्ण व्यापारिक स्थल था।
- गुप्तकाल में स्वर्ण मुद्राओं की अभिलेखों में दीनार कहा जाता है।
- शिव के अर्धनारीश्वर रूप की कल्पना एवं शिव तथा। पर्वती की एक साथ मूर्तियों की निर्माण गुप्तकाल में हुआ था।
- त्रिमूर्ति पूजा के अर्न्तगत ब्रह्मा, विष्णु और महेश की पूजा गुप्त काल में आरम्भ हुई थी।
- गुप्त काल में मंदिर निर्माण कला का जन्म हुआ था।
- भगवान शिव के एकमुखी एवं चतुर्मखी शिवलिंग का निर्माण गुप्तकाल में हुआ था।
- अजन्ता की गुफाओं में चित्रकारी गुप्तकाल की देन है।
- अजन्ता में निर्मित कुल 29 गुफाओं में से वर्तमान में केवल 6 गुफायें ही शेष है।
- अजन्ता में निर्मित गुफा संख्या 16 और 17 गुप्तकाल से संबन्धित है।
- गुप्तकाल में वेश्यावृति करने वाली महिलाओं को गणिका कहा जाता था।
- विष्णु का वाहन गरूण गुप्त काल का राजचिन्ह था।
- गुप्तकाल में चांदी के सिक्कों को रूप्यका कहा जाता था।
- गुप्त काल में अठारह प्रकार के कर थे।
- गुप्त काल को भारतीय इतिहास का स्वर्ण काल कहा जाता है।
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