Wednesday, 14 July 2021

मुहावरे और लोकोक्तियाँ (Phrases and Proverbs)

मुहावरे और लोकोक्तियाँ (Phrases and Proverbs)


मुहावरा : कोई भी ऐसा वाक्यांश जो अपने साधारण अर्थ को छोड़कर किसी विशेष अर्थ को व्यक्त करे उसे मुहावरा कहते हैं।

लोकोक्ति : लोकोक्तियाँ लोक-अनुभव से बनती हैं। किसी समाज ने जो कुछ अपने लंबे अनुभव से सीखा है उसे एक वाक्य में बाँध दिया है। ऐसे वाक्यों को ही लोकोक्ति कहते हैं। इसे कहावत, जनश्रुति आदि भी कहते हैं।
मुहावरा और लोकोक्ति में अंतर- मुहावरा वाक्यांश है और इसका स्वतंत्र रूप से प्रयोग नहीं किया जा सकता। लोकोक्ति संपूर्ण वाक्य है और इसका प्रयोग स्वतंत्र रूप से किया जा सकता है। जैसे-‘होश उड़ जाना’ मुहावरा है। ‘बकरे की माँ कब तक खैर मनाएगी’ लोकोक्ति है।

कुछ प्रचलित मुहावरे

1. अंग संबंधी मुहावरे
1. अंग छूना  (कसम खाना) : मैं अंग छूकर कहता हूँ साहब, मैने पाजेब नहीं देखी।
2. अंग-अंग मुसकाना (बहुत प्रसन्न होना) : आज उसका अंग-अंग मुसकरा रहा था।
3. अंग-अंग टूटना (सारे बदन में दर्द होना) : इस ज्वर ने तो मेरा अंग-अंग तोड़कर रख दिया।
4. अंग-अंग ढीला होना (बहुत थक जाना) तुम्हारे साथ कल चलूँगा। आज तो मेरा अंग-अंग ढीला हो रहा है।

मुहावरे (Phrases)

मुहावरे (Phrases)

 

ऐसे वाक्यांश, जो सामान्य अर्थ का बोध न कराकर किसी विलक्षण अर्थ की प्रतीति कराये, मुहावरा कहलाता है।
अरबी भाषा का 'मुहावर:' शब्द हिन्दी में 'मुहावरा' हो गया है। उर्दूवाले 'मुहाविरा' बोलते हैं। इसका अर्थ 'अभ्यास' या 'बातचीत' से है। हिन्दी में 'मुहावरा' एक पारिभाषिक शब्द बन गया है। कुछ लोग मुहावरा को रोजमर्रा या 'वाग्धारा' कहते है।
मुहावरा का प्रयोग करना और ठीक-ठीक अर्थ समझना बड़ा ही कठिन है, यह अभ्यास और बातचीत से ही सीखा जा सकता है। इसलिए इसका नाम मुहावरा पड़ गया
मुहावरे के प्रयोग से भाषा में सरलता, सरसता, चमत्कार और प्रवाह उत्पत्र होते है। इसका काम है बात इस खूबसूरती से कहना की सुननेवाला उसे समझ भी जाय और उससे प्रभावित भी हो।

एकार्थक प्रतीत होने वाले शब्द (Synonymous)

एकार्थक प्रतीत होने वाले शब्द (Synonymous)



1. अस्त्र- जो हथियार हाथ से फेंककर चलाया जाए। जैसे-बाण।
शस्त्र- जो हथियार हाथ में पकड़े-पकड़े चलाया जाए। जैसे-कृपाण।

2. अलौकिक- जो इस जगत में कठिनाई से प्राप्त हो। लोकोत्तर।
अस्वाभाविक- जो मानव स्वभाव के विपरीत हो।
असाधारण- सांसारिक होकर भी अधिकता से न मिले। विशेष।

3. अमूल्य- जो चीज मूल्य देकर भी प्राप्त न हो सके।
बहुमूल्य- जिस चीज का बहुत मूल्य देना पड़ा।

4. आनंद- खुशी का स्थायी और गंभीर भाव।
आह्लाद- क्षणिक एवं तीव्र आनंद।
उल्लास- सुख-प्राप्ति की अल्पकालिक क्रिया, उमंग।
प्रसन्नता-साधारण आनंद का भाव।

Tuesday, 13 July 2021

लोकोक्तियां और हिन्दी अर्थ (Proverbs and Hindi Meanings)

लोकोक्तियां और हिन्दी अर्थ
(Proverbs and Hindi Meanings)

1. A bad man is better than a bad name– बद अच्छा, बदनाम बुरा
2. A bird in the hand is worth two in the bush– नौ नगद, न तेरह उधार
3. A burnt child dreads the fire– दूध का जला छाछ को फूँक-फूँक कर पीता है
4. A bad workman quarrels with his tools– नाच न जाने आँगन टेढ़ा
5. A drowning man will catch at a straw– डूबते को तिनके का सहारा
6. A figure among cyphers– अंधों में काना सरदार
7. A guilty conscience needs no accuser– चोर की दाढ़ी में तिनका
8. A prophet is not honoured in his own country– घर का जोगी जोगना आन गाँव का सिद्ध
9. A little knowledge is a dangerous thing– नीम हकीम खतरे जान
10. A good face needs no paint– लाल गुदड़ियों में नहीं छिपते
11. A rolling stone gathers no moss– डाँवाडोलकी मिट्टी खराब
12. A lie has no legs– चोर के पैर कहाँ

लोकोक्तियाँ (Proverbs)

लोकोक्तियाँ (Proverbs)

 

किसी विशेष स्थान पर प्रसिद्ध हो जाने वाले कथन को 'लोकोक्ति' कहते हैं।
दूसरे शब्दों में- जब कोई पूरा कथन किसी प्रसंग विशेष में उद्धत किया जाता है तो लोकोक्ति कहलाता है। इसी को कहावत कहते है।
उदाहरण- 'उस दिन बात-ही-बात में राम ने कहा, हाँ, मैं अकेला ही कुँआ खोद लूँगा। इन पर सबों ने हँसकर कहा, व्यर्थ बकबक करते हो, अकेला चना भाड़ नहीं फोड़ता' । यहाँ 'अकेला चना भाड़ नहीं फोड़ता' लोकोक्ति का प्रयोग किया गया है, जिसका अर्थ है 'एक व्यक्ति के करने से कोई कठिन काम पूरा नहीं होता' ।
लोकोक्ति किसी घटना पर आधारित होती है। इसके प्रयोग में कोई परिवर्तन नहीं होता है। ये भाषा के सौन्दर्य में वृद्धि करती है। लोकोक्ति के पीछे कोई कहानी या घटना होती है। उससे निकली बात बाद में लोगों की जुबान पर जब चल निकलती है, तब 'लोकोक्ति' हो जाती है।

जोड़े और समूह दर्शाने वाले शब्द (Words Indicating Pairs and Groups)

जोड़े और समूह दर्शाने वाले शब्द
(Words Indicating Pairs and Groups
)


जिस प्रकार हिन्दी भाषा में कुछ विशेष वस्तुओं के जोड़ों या समूहों के लिये कुछ विशेष शब्द ही प्रयोग किये जाते हैं, उसी प्रकार अँग्रेजी में भी कुछ विशेष शब्द प्रयोग होते हैं- उदाहरण के लिये, ‘चाबियों के गुच्छे’ के लिये सही शब्द है ‘Bunch of keys’; इसके लिए ‘Crowd of keys’ या ‘group of keys’ या कोई भी दूसरा शब्द प्रयोग नहीं कर सकते, ऐसे कुछ विशेष शब्दों की सूची आप नीचे देखकर याद कर सकते हैं-

● An army (आर्मी) of soldiers — सैनिकों की फौज
● A bunch (बंच) of grapes — अंगूरों का गुच्छा
● A bunch (बंच) of keys — चाबियों का गुच्छा
● A bouquet (बुके) of flowers — फूलों का गुलदस्ता
● A crowd (क्राउड) of people — लोगों की भीड़
● A chain (चेन) of mountains — पहाड़ों की श्रृंखला
● A flock (फ्लॉक) of sheep — भेड़ों का टैना
● A flight (फ्लॉइट) of birds — पक्षियों का समूह
● A group (ग्रुप) of islands — द्वीपों का समूह

संधि (Seam)

संधि (Seam)

दो वर्णों ( स्वर या व्यंजन ) के मेल से होने वाले विकार को संधि कहते हैं। 
दूसरे अर्थ में- संधि का सामान्य अर्थ है मेल। इसमें दो अक्षर मिलने से तीसरे शब्द रचना होती है,
इसी को संधि कहते हैै।
उन पदों को मूल रूप में पृथक कर देना संधि विच्छेद हैै।
जैसे -हिम +आलय =हिमालय ( यह संधि है ), अत्यधिक = अति + अधिक ( यह संधि विच्छेद है )
  • यथा + उचित =यथोचित
  • यशः +इच्छा=यशइच्छ
  • अखि + ईश्वर =अखिलेश्वर
  • आत्मा + उत्सर्ग =आत्मोत्सर्ग
  • महा + ऋषि = महर्षि ,
  • लोक + उक्ति = लोकोक्ति
  • संधि निरथर्क अक्षरों मिलकर सार्थक शब्द बनती है। संधि में प्रायः शब्द का रूप छोटा हो जाता है। संधि संस्कृत का शब्द है।

पदबंध (Padbandh)

पदबंध (Padbandh)

 

पद- वाक्य से अलग रहने पर 'शब्द' और वाक्य में प्रयुक्त हो जाने पर शब्द 'पद' कहलाते हैं।
दूसरे शब्दों में- शब्द विभक्तिरहित और पद विभक्तिसहित होते हैं।
पदबंध- जब दो या अधिक (शब्द) पद नियत क्रम और निश्र्चित अर्थ में किसी पद का कार्य करते हैं तो उन्हें पदबंध कहते हैं।
दूसरे शब्दों में- कई पदों के योग से बने वाक्यांशो को, जो एक ही पद का काम करता है, 'पदबंध' कहते है।
डॉ० हरदेव बाहरी ने 'पदबन्ध' की परिभाषा इस प्रकार दी है- वाक्य के उस भाग को, जिसमें एक से अधिक पद परस्पर सम्बद्ध होकर अर्थ तो देते हैं, किन्तु पूरा अर्थ नहीं देते- पदबन्ध या वाक्यांश कहते हैं।
जैसे-
(1) सबसे तेज दौड़ने वाला छात्र जीत गया।
(2) यह लड़की अत्यंत सुशील और परिश्रमी है।
(3) नदी बहती चली जा रही है। 
(4) नदी कल-कल करती हुई बह रही थी।
उपर्युक्त वाक्यों में काला छपे शब्द पदबंध है। पहले वाक्य के 'सबसे तेज दौड़ने वाला छात्र' में पाँच पद है, किन्तु वे मिलकर एक ही पद अर्थात संज्ञा का कार्य कर रहे हैं। दूसरे वाक्य के 'अत्यंत सुशील और परिश्रमी' में भी चार पद हैं, किन्तु वे मिलकर एक ही पद अर्थात विशेषण का कार्य कर रहे हैं। तीसरे वाक्य के 'बहती चली जा रही है' में पाँच पद हैं किन्तु वे मिलकर एक ही पद अर्थात क्रिया का काम कर रहे हैं। चौथे वाक्य के 'कल-कल करती हुई' में तीन पद हैं, किन्तु वे मिलकर एक ही पद अर्थात क्रिया विशेषण का काम कर रहे हैं।

हिन्दी संख्याएँ (Hindi Numbers)

हिन्दी संख्याएँ (Hindi Numbers)

हिन्दी संख्याएँ एक से लेकर सौ तक दी जा रही है :-
संख्याएँहिन्दी शब्दरोमन लिपि
0.....०शून्य.....shoonyaI
1.....१एक....... EkI
2......२दो........doII
3..... ३तीन......teenIII
4.......४चार......chaarIV
5......५पाँच..... panchv
6.......६छह.......ChhahVI
7.......७सात........saatVII
8.......८आठ........AathVIII
9 ......९नौ........naoIX
10.......१०दस........ dasX
11.......११ग्यारह...... gyaarahXI
12.......१२बारह ...... baarahXII
13.......१३तेरह....... terahXIII
14.......१४चौदह ..... chaodahXVI
15.......१५पन्द्रह ...... pandrahXV
16......१६सोलह..... solahXVI
17.......१४सत्रह...... satrahXVII
18.......१८अठारह..... AthaarahXVIII
19.......१९उन्नीस..... UnneesXIX
20.......२०बीस....... beesXX
21.......२१इक्कीस..... IkkeesXXI
22.......२२बाईस ..... BaaeesXXII
23......२३तेईस....... TeeesXXIII
24.......२४चौबीस..... chaobeesXXIV
25.......२५पच्चीस...... pachcheesXXV
26......२६छब्बीस...... chhabbeesXXVI
27......२७सत्ताईस.... sattaaeesXXVII
28.......२८अट्ठाईस..... AtthaaeesXXVIII
29.......२९उनतीस..... UnateesXXIX
30.......३०तीस ....... teesXXX
31.......३१इकतीस..... IkateesXXXI
32......३२बत्तीस..... batteesXXXII
33.......३४तैंतीस ...... taintees (tainntees)XXXIII
34.......३४चौंतीस...... chaontees (chaonntees)XXXIV
35.......३५पैंतीस..... paintees (painntees)XXXV
36.......३६छत्तीस..... chhatteesXXXVI
37.......३७सैंतीस ...... saintees (sainntees)XXXVII
38......३८अड़तीस...... ArateesXXXVIII
39.......३९उनतालीस..... UnataaleesXXXIX
40.......४०चालीस..... chaaleesXXXX
41.......४१इकतालीस..... IkataaleesXXXXI
42......४२बयालीस..... bayaaleesXXXXII
43.......४३तैंतालीस.... Taintaalees (tainntaalees)XXXXIII
44.......४४चौवालीस..... chaovaaleesXXXXIV
45.......४५पैंतालीस..... paintaalees (painntaalees)XXXXV
46.......४६छियालीस..... chhiyaaleesXXXXVI
47.......४७सैंतालीस...... Saintaalees (Sainntaalees)XXXXII
48.......४८अड़तालीस....... AddataaleesXXXXIII
49.......४९उनचास...... UnachaasXXXXIX
50.......५०पचास..... pachaasXXXXX
51.......५१इक्यावन..... IkyaavanXXXXXI
52.......५२बावन..... baavanXXXXXII
53.......५३तिरेपन..... tirepanXXXXXIII
54......५४चौवन..... chaovanXXXXXIV
55.......५५पचपन...... pachapanXXXXXV
56.......५६छप्पन..... chhappanXXXXXVI
57.......५७सत्तावन..... sattaavanXXXXXVII
58.......५८अट्ठावन..... AtthaavanXXXXXVIII
59.......५९उनसठ...... UnasathXXXXXIX
60.......६०साठ..... saathXXXXXX
61.......६१इकसठ..... IkasathXXXXXXI
62......६२बासठ..... baasathXXXXXXII
63.......६३तिरेसठ..... tiresathXXXXXXIII
64.......६४चौंसठ..... chaonsath (chaonnsath)XXXXXXIV
65......६५पैंसठ...... painsath (painnsath)XXXXXXV
66......६६छियासठ..... chhiyaasathXXXXXXVI
67.......६७सड़सठ...... saddasathXXXXXXVII
68.......६८अड़सठ..... AddasathXXXXXXVIII
69.......६९उनहत्तर...... UnahattaraXXXXXXIX
70.......७०सत्तर..... sattaraXXXXXXX
71......७१इकहत्तर..... IkahattaraXXXXXXXI
72.......७२बहत्तर..... bahattaraXXXXXXXII
73.......७३तिहत्तर..... tihattaraXXXXXXXIII
74.......७४चौहत्तर.... chaohattaraXXXXXXXIV
75.......७५पचहत्तर..... pachahattaraXXXXXXXV
76.......७६छिहत्तर..... chhihattaraXXXXXXXVI
77.......७७सतहत्तर..... satahattaraXXXXXXXVII
78.......७८अठहत्तर...... AthahattaraXXXXXXXVIII
79.......७९उनास...... UnaaseeXXXXXXXIX
80.......८०अस्सी..... AsseeXXXXXXXX
81.......८१इक्यासी..... IkyaaseeXXXXXXXXI
82.......८२बयासी....... bayaaseeXXXXXXXXII
83.......८३तिरासी...... tiraaseeXXXXXXXXIII
84.......८४चौरास...... chaoraaseeXXXXXXXXIV
85.......८५पचासी...... pachaaseeXXXXXXXXV
86.......८६छियास....... chhiyaaseeXXXXXXXXVI
87......८७सत्तासी...... sattaaseeXXXXXXXXVII
88......८८अट्ठासी...... AtthaaseeXXXXXXXXVIII
89.......८९नवासी.....navaaseeXXXXXXXXIX
90.......९०नब्बे...... nabbeXXXXXXXXX
91.......९१इक्यानबे...... IkyaanabeXXXXXXXXXI
92.......९२बानबे....... BaanabeXXXXXXXXXII
93.......९३तिरानबे..... TiraanabeXXXXXXXXXI
94.......९४चौरानबे...... ChaoraanabeXXXXXXXXXIV
95.......९५पंचानबे ..... PanchaanabeXXXXXXXXXV
96.......९६छियानबे...... ChhiyaanabeXXXXXXXXXVI
97......९७सत्तानबे....... SattaanabeXXXXXXXXXVII
98......९८अट्ठानबे ..... AtthaanabeXXXXXXXXXVIII
99.....९९निन्यानबे ...... NinyaanabeXXXXXXXXXIX
100.....१००सौ......... SaoXXXXXXXXXX
संख्याएँहिन्दी शब्द
1000.....१,०००हजार....... hajaara
1,00,000.....१,००,०००लाख....... laakh
1,00,00,000.....१,००,००,०००करोड़ ...... karodd
1,00,00,00,000.....१,००,००,००,०००अरब ...... arab

Monday, 12 July 2021

समोच्चरित भिन्नार्थक शब्द (Paronyms)

समोच्चरित भिन्नार्थक शब्द (Paronyms)


कुछ शब्द ऐसे होते हैं जिनमें स्वर, मात्रा अथवा व्यंजन में थोड़ा-सा अन्तर होता है। वे बोलचाल में लगभग एक जैसे लगते हैं, परन्तु उनके अर्थ में भिन्नता होती है। ऐसे शब्द 'समोच्चरित भिन्नार्थक शब्द' कहलाते हैं।

जैसे- घन और धन दोनों के उच्चारण में कोई खास अन्तर महसूस नहीं होता परन्तु अर्थ में भिन्नता है।
घन= बादल
धन= सम्पत्ति

नीचे कुछ ऐसे ही शब्द और उनके अर्थ दिया जा रहा हैं।

तार लेखन (Telegram)

हिन्दी : तार लेखन (Telegram)

कम-से-कम शब्दों में सन्देश भेजने की पद्धति को 'तार' (Telegram) कहते हैं।
पहले केवल अँगरेजी में डाकघरों से तार भेजा जाता था, किन्तु अब हिन्दी में भी तार भेजा जाता है। आजादी के बाद इसका प्रचार दिन-दिन बढ़ता जा रहा है और जनता में यह लोकप्रिय होता जा रहा है। फिर भी, इस दशा में अभी बहुत कुछ करना है। हिन्दी में तार- सभी मुख्य तारघरों में देवनागरी में तार-प्रणाली चालू की जा चुकी है। राष्ट्रभाषा हिन्दी की उत्तरोत्तर प्रगति की दृष्टि से तार-क्षेत्र में भी हिन्दी का समुचित प्रयोग हो रहा है। कुछ लोगों का यह भ्रम है कि हिन्दी में तार लिखना महँगा है। सच तो यह है कि अँगरेजी तार की अपेक्षा देवनागरी तार पर खर्च कम होता है। अँगरेजी तार लिखवाने और पढ़वाने में जो समय और पैसा लगता है, देवनागरी तार भेजने में उसकी बचत होती है।

देवनागरी तारों में शब्द गिनने के कुछ विशेष नियम हैं, जिनसे ये तार सस्ते पड़ते हैं। उन नियमों की जानकारी के लिए दिल्ली की केन्द्रीय सचिवालय हिन्दी परिषद ने देवनागरी में तार नामक एक पुस्तिका प्रकाशित की है। इस पुस्तिका में सौ ऐसे वाक्यांश दिये गये हैं, जिनके लिए अँगरेजी के तारों में कई शब्दों का प्रभार (चार्ज) देना पड़ता है, किन्तु हिन्दी में उनके लिए या तो एक शब्द से काम चल जाता है अथवा समासयुक्त शब्दों का प्रयोग कर या विभक्ति को मिलाकर लिखने से केवल एक शब्द का प्रभार देना पड़ता है। उदाहरण के लिए 'day and night' अँगरेजी में तीन शब्द है, पर हिन्दी तार में 'रातदिन' एक शब्द माना जायेगा।

वाक्य विचार (Syntax)

हिन्दी : वाक्य विचार (Syntax)

वह शब्द समूह जिससे पूरी बात समझ में आ जाये, 'वाक्य' कहलाता हैै।
दूसरे शब्दों में- विचार को पूर्णता से प्रकट करनेवाली एक क्रिया से युक्त पद-समूह को 'वाक्य' कहते हैं।
सरल शब्दों में- सार्थक शब्दों का व्यवस्थित समूह जिससे अपेक्षित अर्थ प्रकट हो, वाक्य कहलाता है।
जैसे- विजय खेल रहा है, बालिका नाच रही हैैै।

वाक्य के भाग

वाक्य के दो भेद होते है-
(i)उद्देश्य (Subject) 
(ii)विद्येय (Predicate)
(i)उद्देश्य (Subject):-वाक्य में जिसके विषय में कुछ कहा जाये उसे उद्देश्य कहते हैं।
सरल शब्दों में- जिसके बारे में कुछ बताया जाता है, उसे उद्देश्य कहते हैं।
जैसे- पूनम किताब पढ़ती है। सचिन दौड़ता है।
इस वाक्य में पूनम और सचिन के विषय में बताया गया है। अतः ये उद्देश्य है। इसके अंतर्गत कर्ता और कर्ता का विस्तार आता है जैसे- 'परिश्रम करने वाला व्यक्ति' सदा सफल होता है। इस वाक्य में कर्ता (व्यक्ति) का विस्तार 'परिश्रम करने वाला' है।

संक्षेपण (Sankshepan)

संक्षेपण (Sankshepan)

किसी विस्तृत विवरण, सविस्तार व्याख्या, वक्तव्य, पत्रव्यवहार या लेख के तथ्यों और निर्देशों के ऐसे संयोजन को 'संक्षेपण' कहते है, जिसमें अप्रासंगिक, असम्बद्ध, पुनरावृत्त, अनावश्यक बातों का त्याग और सभी अनिवार्य, उपयोगी तथा मूल तथ्यों का प्रवाहपूर्ण संक्षिप्त संकलन हो।
इस परिभाषा के अनुसार, संक्षेपण एक स्वतःपूर्ण रचना है। उसे पढ़ लेने के बाद मूल सन्दर्भ को पढ़ने की कोई आवश्यकता नहीं रह जाती। सामान्यतः संक्षेपण में लम्बे-चौड़े विवरण, पत्राचार आदि की सारी बातों को अत्यन्त संक्षिप्त और क्रमबद्ध रूप में रखा जाता है।
इसमें हम कम-से-कम शब्दों में अधिक-से-अधिक विचारों भावों और तथ्यों को प्रस्तुत करते है। वस्तुतः, संक्षेपण किसी बड़े ग्रन्थ का संक्षिप्त संस्करण बड़ी मूर्ति का लघु अंकन और बड़े चित्र का छोटा चित्रण है। इसमें मूल की कोई भी आवश्यक बात छूटने नहीं पाती। अनावश्यक बातें छाँटकर निकाल दी जाती है और मूल बातें रख ली जाती हैं। यह काम सरल नहीं। इसके लिए निरन्तर अभ्यास की आवश्यकता है।

उपसर्ग (Prefixes)

हिन्दी : उपसर्ग (Prefixes)

उपसर्ग उस शब्दांश या अव्यय को कहते है, जो किसी शब्द के पहले आकर उसका विशेष अर्थ प्रकट करता है।
दूसरे शब्दों में - जो शब्दांश शब्दों के आदि में जुड़ कर उनके अर्थ में कुछ विशेषता लाते है, वे उपसर्ग कहलाते है। 
जैसे- प्रसिद्ध, अभिमान, विनाश, उपकार।
इनमे कमशः 'प्र', 'अभि', 'वि' और 'उप' उपसर्ग है।
यह दो शब्दों (उप+ सर्ग) के योग से बनता है। 'उप' का अर्थ 'समीप', 'निकट' या 'पास में' है। 'सर्ग' का अर्थ है सृष्टि करना। 'उपसर्ग' का अर्थ है पास में बैठाकर दूसरा नया अर्थवाला शब्द बनाना। 'हार' के पहले 'प्र' उपसर्ग लगा दिया गया, तो एक नया शब्द 'प्रहार' बन गया, जिसका नया अर्थ हुआ 'मारना' । उपसर्गो का स्वतन्त्र अस्तित्व न होते हुए भी वे अन्य शब्दों के साथ मिलाकर उनके एक विशेष अर्थ का बोध कराते हैं।
उपसर्ग शब्द के पहले आते है। जैसे -'अन' उपसर्ग 'बन' शब्द के पहले रख देने से एक शब्द 'अनबन 'बनता है, जिसका विशेष अर्थ 'मनमुटाव' है। कुछ उपसर्गो के योग से शब्दों के मूल अर्थ में परिवर्तन नहीं होता, बल्कि तेजी आती है। जैसे- 'भ्रमण' शब्द के पहले 'परि' उपसर्ग लगाने से अर्थ में अन्तर न होकर तेजी आयी। कभी-कभी उपसर्ग के प्रयोग से शब्द का बिलकुल उल्टा अर्थ निकलता है। 
उपसर्ग के प्रयोग से शब्दों को तीन स्थितियाँ होती है - (i)शब्द के अर्थ में एक नई विशेषता आती है;
(ii)शब्द के अर्थ में प्रतिकूलता उत्पत्र होती है,
(iii) शब्द के अर्थ में कोई विशेष अन्तर नही आता।