Friday 24 March 2017

बीरबल की खोज

कहानी : बीरबल की खोज



बीरबल बादशाह अकबर के दरबार की शोभा थे। एक बार अकबर की बीरबल से किसी बात पर कहा-सुनी हो गई। अकबर ने क्रोध में आकर उनसे दरबार से चले जाने को कह दिया। बीरबल दरबार से चल दिए। कोई उन्हें पहचान न ले, इसलिए उन्होंने किसान का वेश धारण कर लिया। घूमते-घूमते वे एक गाँव में पहुँचे। वहाँ उन्होंने देखा कि एक किसान अपने खेत में काम कर रहा था। बीरबल ने उस किसान से पूछा- ''क्या तुम मुझे काम दे सकते हो ?'' किसान दयालु था।


उसने कहा- ''भैया! काम तो आपको मिल जाएगा, लेकिन मजदूरी नहीं दे पाउँगा।'' यह सुनकर बीरबल ने कहा- ''नहीं, मुझे मजदूरी नहीं चाहिए। केवल रोटी और ठहरने के लिए स्थान चाहिए।'' ''वह तो मैं दे सकता हूँ। चलो, मेरे साथ घर चलो।'' यह कहकर किसान उन्हें अपने घर ले गया। उस दिन से बीरबल किसान साथ ही रहने लगे। किसान के परिवार वाले उनसे शीघ्र ही घुल-मिल गए। किसान की एक विवाह योग्य कन्या थी। किंतु किसान के पास विवाह करने हेतु पर्याप्त धन नहीं था जिस कारण वह किसान चिंतित रहता था।

बीरबल किसान की मदद करना चाहते थे। इधर बादशाह अकबर का गुस्सा शांत हो गया। उन्हें दरबार में बीरबल की कमी खलने लगी। लेकिन बीरबल को कहाँ व कैसे ढूँढ़ा जाए ? यह समस्या थी। अचानक बादशाह को एक तरकीब सूझी। उन्होंने सारे राज्य में एलान करवा दिया कि जो आदमी आधी धूप और आधी छाया में एक सप्ताह के अंदर दरबार में आएगा, उसे वे दस हजार मुद्राएँ इनाम में देंगे।

बादशाह का एलान उस गाँव में भी पहुँचा, जहाँ बीरबल रह रहे थे। उन्होंने यह सुना तो वह बहुत खुश हुए। बीरबल को किसान की मदद करने का साधन मिल गया। सुबह उठते ही बीरबल ने किसान से कहा- ''आप सिर पर खाट रखकर बादशाह के दरबार में जाइए। बादशाह आपको दस हजार मुद्राएँ दे देंगे। उससे आप अपनी बेटी का विवाह धूमधाम से कर सकेंगे।''

बीरबल के कहे अनुसार किसान खाट सिर पर रखकर चल दिया। खाट के कारण उसके सिर पर धूप और छाया दोनों पड़ रही थीं। रास्ते में जो भी उसे देखता, वही हँसता। लेकिन किसान किसी की परवाह किए बिना चलता ही गया। अंत में वह दरबार में पहुँचा और बादशाह से बोला- ''जहाँपनाह! मैं आपके प्रश्न का उत्तर लाया हूँ।'' बादशाह को समझते देर न लगी कि बीरबल इसी के यहाँ होंगे। उन्होंने किसान को इनाम दिया। इनाम पाकर किसान ख़ुशी-ख़ुशी घर लौट आया। अगले दिन अकबर अपने सेनापति के साथ उस गाँव में गए और बीरबल को मनाकर सम्मान सहित वापिस ले आए।

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